रायपुर- छत्तीसगढ़ में हाथियों के बढ़ते मौत के आंकड़ों के बीच सरकार बेहद नाराज है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सख्त निर्देश के बावजूद धरमजयगढ़ में करंट से दूसरे हाथी की मौत के बाद मामला गर्मा गया है. हाथियों की मौत की समीक्षा किए जाने के दौरान बघेल ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि अब किसी हाथी की मौत करंट लगने से नहीं होनी चाहिए, बावजूद इसके इन निर्देशों को ताक पर रख दिया. जानकारी कहती है कि एक-दो बड़े अधिकारियों पर इसकी गाज गिर सकती है. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस बात के संकेत दिए हैं.
बीते दस दिनों के भीतर छह हाथियों की मौत के बाद सरकार के माथे पर सिकन उभर आई. केरल में हुई हाथी की मौत की घटना की देशभर में चर्चा हुई थी, इस बीच राज्य में एक के बाद एक हाथियों की मौत की घटना ने सरकार को हिलाकर रख दिया. हाथी की मौत की खबर सुनते ही पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ अतुल शुक्ला, एडिशनल पीसीसीएफ अरूण पांडेय, सीसीएफ अनिल सोनी और डीएफओ प्रियंका पांडेय घटनास्थल पर पूरे दिन रहे. जब तक एक्सपर्ट्स घटनास्थल पहुंचे तब तक दिन ढल चुका था, लिहाजा पोस्टमार्टम टाल दिया गया.
मृत हाथी का पोस्टमार्टम टलने के बाद मौके पर आला अधिकारियों के बीच भी तनातनी की खबरें आ रही हैं. स्थानीय संवाददाता के इनपुट के मुताबिक स्थानीय अधिकारी रायपुर से आए अधिकारियों के निर्देशों को तवज्जो नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से कार्रवाही में देरी हो रही है. गौरतलब है कि हाथी की मौत की जांच करने के लिए मौके पर देश के दो नामचीन विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण और डॉक्टर प्रयाग पहुंचे हुए हैं. इनकी मौजूदगी में अधिकारियों के निर्देशों को कई बार अनसुना किया गया. स्थानीय संवाददाता के इनपुट के मुताबिक एक अधिकारी ने यहां तक कह डाला कि असंवेदनशीलता के ऐसे हालात में काम नहीं हो पाएगा. इस बीच वर्कशॉप में शामिल होने के लिए डॉ प्रयाग रायपुर लौट आए हैं. अब पोस्टमार्टम का काम डॉ अरुण ही करेंगे.
44 हाथियों की करंट से मौत
इधर विभागीय सूत्र बताते हैं कि दस सालों में राज्य में 130 से ज्यादा हाथियों की मौत हुई है. इनमें से 44 हाथी करंट लगने से मारे गए हैं. इनमें भी 22 हाथी ऐसे हैं, जिनकी मौत धरमजयगढ़ में हुई है. सरकार इन आंकड़ों को अब गंभीरता से लेती दिख रही है.