रायपुर. झीरम को लेकर कांग्रेस ने बड़ा राजनीतिक मोर्चा खोल दिया है. 2013 के इस हमले में अपनी लीडरशिप की एक पीढ़ी को गंवाने वाली कांग्रेस ने एनआईए की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं. रायपुर के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में भूपेश सरकार के तीन कद्दावर मंत्रियों और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रमन सिंह सरकार पर इस हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने एनआईए की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि किसके इशारे पर जांच को रोकने की कोशिश की जा रही है.
झीरम घाटी हमले में अपने पिता को गंवाने वाले उदय मुदलियार ने कुछ दिन पहले दरभा घाटी थाने में रपट दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने खुद को जांच से असंतुष्ट बताया था. इसके खिलाफ एनआईए कोर्ट में चली गई और इसकी पृथक जांच का विरोध किया. एनआईए के रुख से कांग्रेस बेहद खफा हो गई. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि कौन है जो नहीं चाहता कि जांच हो. गौरतलब है कि झीरम की जांच पर कांग्रेस ने सत्ता संभालते ही एसआईटी बनाने की घोषणा की थी. लेकिन कोर्ट में एनआईए ने जांच चलने की बात कहकर उस पर स्टे ले लिया.
कांग्रेस का कहना है कि जो जांच हुई है. उसमें वो बिंदू जानबुझकर शामिल नहीं किए गए. जिससे मामले की साजिश का खुलासा हो. इतवार को झीरम पीड़ितों ने प्रेस कांफ्रेंस करके जांच से खुद को असंतुष्ट बताया. इसके बाद पार्टी के बड़े नेताओं ने सोमवार को मोर्चा खोला.
नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने आरोप लगाया कि झीरम एक सुपारी किलिंग है और तात्कालीन रमन सिंह की सरकार इसमें संलग्न थी.
वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने एनआईए पर गंभीर आरोप लगाए. अकबर ने पूछा कि पांच साल से एनआईए इस मामले की जांच कर रही है. लेकिन क्या इस दौरान उसने पांच पीड़ितों से भी पुछताछ की.
उन्होंने कहा कि एनआईए कभी कहती है कि जांच हो चुकी है फिर वो बयान देती है कि जांच चल रही है. उन्होंने पूछा कि एनआईए के जांच के बिंदुओं में राजनीतिक षडयंत्र की जांच नहीं है. अकबर ने पूछा कि बिलासपुर में जब एनआईए चालान पेश किया गया तब कहा गया था कि नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस थे. लेकिन जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो भरमार बंदूकें उनके पास से बरामद हुईं.
रविंद्रचौबे ने पूछा कि वो कौन लोग हैं जो जांच से डर रहे हैं. उसे रोकना चाहते हैं. मोहन मरकाम ने पूछा कि केंद्र सरकार किसके कहने पर सीबीआई जांच से मना कर रही है.