फीचर स्टोरी । भूपेश सरकार ह किसान मन के सरकार हरय. ये बात ल छत्तीसगढ़ के मुखिया ह पाछू डेढ़ बछर म अपन काम-कारज ले सिद्ध करके दिखा दे हे. मुख्यमंतरी के मन-अंतस म सबले पहली किसान मन के हित रहिथे, बाकी जिनिस बाद म. फेर चाहे वो सरकार बनत किसान मन के करजा माफी के होवय, या बस्तर म आदिवासी-किसान मन के जमीन वापसी के, या फेर 2500 रुपये म धान खरीदी के, या फेर बोनस देहे के. सब मामला म भूपेश बघेल के सुवारथ अतकेच रहे हे कि छत्तीसगढ़िया किसान मन ह जतका जियादा मजबूत रइही हमर छत्तीसगढ़ ह वोतके तरक्की करही, बिकास म आगू बढ़ही.
जी हाँ और मुख्यमंत्री ने कुछ इस तरह से ही छत्तीसगढ़ के किसानों को सशक्त से सशक्त करने की कोशिश विभिन्न योजनाओं के जरिए की है. इसमें मुख्यमंत्री की एक बड़ी कोशिश नरवा-गरवा, घुरवा-बारी योजना के जरिए भी रही है. इस योजना के माध्यम से भूपेश सरकार गाँव को पारपंरागत तरीके से ही सही लेकिन आर्थिक रूप से समृद्ध करना चाहती है. इस योजना में केंद्र बिंदू भी किसान ही हैं. और इसी योजना के साथ-साथ भूपेश सरकार इस वर्ष से मानसून के बीच खेती-किसानी शुरू होने के साथ रोका-छेका अभियान चला रही है.
किसानों-ग्रामीणों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यही कहना है-
गऊठान में रखना हे गाय-गरवा, नइ खाना हे धोखा.. खेत-खार ल बचाय पर सरकार चलात हे रोका-छेका
रोका-छेका शब्द छत्तीसगढ़िया ग्रामीणों-किसानों के लिए नया नहीं है. लेकिन अब इसमें सरकार की भी भागीदारी हो गई यह नई बात है. जब किसी परंपरागत कार्यों के साथ सरकारी सिस्टम काम करने लगता है तो उसे और ताकत मिल जाती यह कहा जा सकता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा कुछ इसी तरह की है. रोका-छेका अभियान के साथ सरकार के लोग, जनप्रतनिधि, अधिकारी-कर्मचारियों का भी जुड़ाव हो जाए और ग्रामीणों-किसानों को अधिक से अधिक मदद मिल जाए.
दरअसल रोका-छेका मानसून के साथ मवेशियों को खुले में चरने से रोकने की प्रथा है. खेत-खार की घेराबंदी, मवेशियों को चराने वाले की नियुक्ति, गौठान में मवेशियों को रोकने का इंतज़ाम यह सब किया जाता है. चूँकि सरकार की ओर से गाँव-गाँव में नरवा-गरवा-घुरवा-बारी योजना के तहत गौठान बनाए गए हैं, बनाए जा रहे हैं तो कोशिश यह है कि गायों को गौठान में रखा जाए, आवारा मवेशियों को खुला घूमने न दिया जाए. उसके लिए चारा का प्रबंध गौठान में ही किया जाए.
इन प्रयासों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 19 जून को सीधे ग्रामीणों-किसानों से जुड़े. मुख्यमंत्री ने 19 जून से प्रदेश में भर रोका-छेका अभियान चलाने की शुरुआत की. मुख्यमंत्री इस दिन अपने निवास कार्यालय से दुर्ग जिले के ग्राम पतोरा में आयोजित रोका-छेका की रस्म में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. ख़ास बात तो ये थी कि मुख्यमंत्री अभियान के आगाज में शामिल ही नहीं हुए, बल्कि उन्होंने ग्रामीणों से, जनप्रतनिधियों से बात भी की.
पूजा करने के दौरान सीएम का फोन
रोका-छेका अभियान के दौरान जब गाँव की सरपंच ग्रामीणों के साथ गायों की पूजा कर रही थी, तभी उसके फोन पर एक वीडियो कॉल आया. सरपंच से जब भूपेश बघेल ने जय जोहार के साथ बात शुरू की तो वह चौंक पड़ी, गाँवों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. मुख्यमंत्री ने सरपंच अंजीता साहू से पूछा कि गायों की पूजा हो गई. आप सभी ने क्या संकल्प ले लिया ? आप लोगों के उत्साह को देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है. गौठान को आगे बढ़ाने के लिए गठित समिति के सदस्य सभी ग्रामीण जन उत्साह से जुटे दिख रहे हैं. रोका-छेका की रस्म को मनाने के लिए आप लोग इतने मेहनत से काम कर रहे हैं. यह बहुत खुशी की बात है रोका-छेका हमारी ग्रामीण संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है. इस परंपरा को निभाने के लिए आप लोगों के द्वारा जो यत्न किया गया है. आप लोग इतने उत्साह से जुड़े हैं यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है.
गौठान में रखने की शपथ
सरपंच अंजीता साहू ने कहा कि आज हम लोगों ने सभी से मवेशियों को गौठान में ही रखने की शपथ ली है. इसके लिए हम लोगों ने गौठान में पूरी तैयारी कर ली है. पैरा एकत्रित कर लिया है. पैरा काटने की मशीन भी हम लोगों ने रख ली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ फसल को बचाने के लिए रोका-छेका बहुत जरूरी परंपरा है. पहले गांव के सभी लोग ऐसे ही संकल्प लेते थे और उसके बाद फसल की रक्षा होती थी.
पहाटिया से भी सीएम ने की बात
वहीं मुख्यमंत्री ने गांव के वरिष्ठ अश्विनी साहू से भी चर्चा की. अश्विनी साहू ने बताया कि गांव में रोका-छेका के लिए दो-तीन दिनों से तैयारी की जा रही थी. सभी को रोका-छेका के दिन सामूहिक शपथ लेने के लिए प्रेरित किया गया है. सभी उत्साह से शपथ लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसके अलावा गौठान में भी खरीफ फसल के लिए मवेशियों को रखने के लिए आवश्यक तैयारियां कर ली गई है. उन्होने ने गौठान की व्यवस्था के संबंध में भी जानकारी मुख्यमंत्री को दी. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पहाटिया से भी बात की. सीएम ने कहा कि पहाटिया लोगों के अच्छे कार्य की वजह से ही गौठान आगे बढ़ रहा है. उन्होंने गांव वालों को खरीफ फसल की शुभकामनाएं भी दी.
19 से 30 जून तक चलेगा अभियान
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आव्हान पर पूरे प्रदेश में 19 जून से 30 जून तक रोका-छेका अभियान प्रारंभ किया गया है. फसलों की सुरक्षा और बहुफसली क्षेत्र के विस्तार के लिए रोका-छेका प्रथा पर प्रभावी अमल सुनिश्चित करने 19 जून से 30 जून तक प्रदेश भर में लोग चर्चा करेंगे. ग्रामीण और शहरी पशुपालक खुली चराई रोकने और सड़कों को मवेशीमुक्त बनाने के उपायों और रणनीतियों पर मंथन करेंगे. वे इस दौरान फसलों को चराई से बचाने मवेशियों का रोका-छेका करने शपथ भी लेंगे. गौठानों में विविध आयोजनों के जरिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की योजनाओं से किसानों को लाभान्वित किया जाएगा.
गंभीरता से अमल करने की अपील
भूपेश बघेल ने खुली चराई से खेती को होने वाले नुकसान को रोकने परंपरागत रोका-छेका प्रथा पर गंभीरता से अमल करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इससे पूरे वर्ष भर खेती संभव होगी और बहुफसली क्षेत्रों का विस्तार होगा. रोका-छेका से खेतों, बाड़ियों और उद्यानों की सुरक्षा के साथ पशुधन भी सुरक्षित रहेंगे. इसमें नरवा-गरवा, घुरवा-बारी योजना के तहत गांव-गांव में स्थापित गौठान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. खेती के लिए जैविक खाद उपलब्ध कराने के साथ ही गौठान ग्रामीणों के लिए आजीविका केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं.