शिवम मिश्रा, रायपुर। लॉक डाउन खुलने के बाद भी फैक्ट्रियों का उत्पादन अभी ठीक से शुरु नहीं हो पाया है। ऐसे समय में एसईसीएल स्पंज आयरन फैक्ट्रियों पर पिछले एक साल का कोयला एक साथ लेने का दबाव बना रहा है। कोयला नहीं लेने की स्थिति में स्पंज आयरन फैक्ट्रियों पर सालभर की पेनाल्टी लगाने की चेतावनी दी जा रही है। यह आरोप है छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन का। एसोसिएशन के मुताबिक लॉक डाउन की वजह से फैक्ट्रियों में 40 से 50 फीसदी कोयले की खपत हो रही है। अगर फैक्ट्रियां एसईसीएल के दबाव में एक साथ इतना सारा कोयला ले लेंगी तो उनको रखने से आग लगने का खतरा बढ़ जाएगा। कोयला कंपनी के इस कदम के खिलाफ स्पंज आयरन एसोसिएशन ने एसईसीएल को पत्र लिखा है।

स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में उद्योगों की सबसे पहली कड़ी में स्पंज आयरन आता है। देश में सबसे ज्यादा स्पंज आयरन का प्रोडक्शन छत्तीसगढ़ में होता है। स्पंज आयरन को बनाने के लिए मेजर रॉ मैटेरियल आयरन ओर जो एनएमडीसी से मिलता है और कोयला एसईसीएल से मिलता है। छत्तीसगढ़ को लिए सौभाग्य की बात है कि दोनों ही खदाने हमारे राज्य में हैय़। लॉकडाउन के कारण एसईसीएल अपनी 90 प्रतिशत कोल को देश के गवर्नमेंट या फिर दूसरे पावर प्लांट को सप्लाई करते हैं और सिर्फ 5-6% सप्लाई स्पंज आयरन को सप्लाई होता है। लेकिन अब लॉकडाउन के कारण उनका सिर्फ आधा माल पावर प्लांट को सप्लाई हुआ। इसके कारण उनके पास कोयले का स्टॉक हो गया है तो इसे लेने का दबाव एसईसीएल हमारे ऊपर बना रहे है।

हमारा पिछले 1 साल से बैकलॉग चल रहा है एसईसीएल 1 साल से हमें कोयला नहीं दे रहा था, तो इसके कारण हमें मजबूरी में दूसरे देश से कोयला को इंपोर्ट कराना पड़ रहा था। हम साउथ अफ्रीका से कोयला इंडिया मंगाने लगे थे। हमारे ही स्टेट में सिर्फ 300 किलोमीटर की दूरी में खदान होने के बावजूद 10 हजार किलोमीटर दूर से कोयला मंगा कर काम चलाना पड़ा रहा था, इसके बाद अब एसईसीएल द्वारा हम पर फिर से दबाव बनाया जा रहा है, कि हम साउथ अफ्रीका से कोयला नहीं लेकर एसईसीएल से खरीदें। उसके लिए भी हम तैयार थे, लेकिन उनका कहना है कि पिछले एक साल का जो कोयला है, 2019 जून से अगस्त 2020 तक का उसे हम इसी महीने पूरा खरीद लें।

हमारा कहना है, इतना कोयला कौन ले पाएगा सभी प्लांट का प्रोडक्शन 50% में है, प्लांट में स्टोर करने की कैपेसिटी भी लिमिटेड है। कोयला ज्यादा रखो तो प्लाट में खतरा बढ़ेगा आग लगने की संभावना है। हम इतना ज्यादा कोयला एक साथ नही ले सकते है। एसईसीएल हमारे ऊपर दबाव बना रहा है। हम इसको बैठकर रेलवे के साथ मिलकर कुछ ऐसा रास्ता निकालेंगे जिससे यह परेशानी सॉल्व हो सके। इस वक्त अगर सहयोग से नहीं चलेंगे तो वह ज्यादा चल नहीं पाएंगे। अड़ियल रवैया इस वक्त काम नहीं आएगा, साथ मिलकर बैठकर रास्ता बनाने की बात करनी चाहिए ना कि दबाव बनाने की।