रायपुर- जांजगीर-चाम्पा जिले के व्यासनगर क्वारंटाइन सेंटर में दो माह की बच्ची की मौत होने और भाटापारा के क्वारंटाइन सेंटर में एक श्रमिक की खुदकुशी के मामले में बीजेपी ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि कोरोना संकट की रोकथाम के मोर्चे पर सरकार पूरी तरह से विफल है.

धरमलाल कौशिक ने कहा कि कोरोना संकट को लेकर सरकार क़तई गंभीर नहीं दिख रही है और जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ कर रही है. बीजेपी ने इस तरह सरकार को जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने नहीं देगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी द्वारा लगातार ध्यान दिलाने के बावज़ूद सरकार कोरोना की रोकथाम के उपायों पर अमल करने में लापरवाही की सारी हदें पार करने पर आमादा नज़र आ रही है. बीजेपी ने क्वारंटाइन सेंटरों की बदइंतजामी और बदहाली पर लगातार सरकार को सचेत किया है. लेकिन कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. कौशिक ने कहा कि कोरोना के विस्फोटक स्तर के मुहाने पर खड़ा है और सरकार सियासी नौटंकियों में ही मशगूल है.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज तक सरकार ने कभी इन क्वारंटाइन सेंटरों की सुध लेने की ज़रूरत तक महसूस नहीं की और बीजेपी के लोग जब इन सेंटरों की सुध लेने जाते हैं तो उन्हें प्रशासन का दुरुपयोग कर ज़बरिया क्वारंटाइन कराकर सरकार सच का सामना करने से मुँह चुराती है. बड़ी-बड़ी डींगें हाँककर सरकार सिर्फ़ अपनी झूठी वाहवाही करा रही है. शुरू से लेकर आज तक की तमाम घटनाएँ इस बात की साक्षी हैं कि सरकार की लापरवाही के चलते ये क्वारंटाइन सेंटर किसी यातना गृह से कम नहीं रह गए हैं, जहाँ सर्पों और अन्य विषैले जीव-जंतुओं ने वहाँ रखे गए लोगों को हर क़दम पर असुरक्षा के साए में जीने के लिए मज़बूर कर रखा है. सर्पदंश से मौतों और आत्महत्या की वारदातों के बावज़ूद प्रदेश सरकार की संवेदनहीन है तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार ही नहीं रह जाता है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में जितनी मौतें कोरोना से नहीं हुई हैं, उससे कहीं ज़्यादा मौतें ‌तो क्वारंटाइन सेंटरों की बदइंतज़ामी और बदहाली के चलते हो चुकी हैं फिर भी सरकार इन सेंटरों के इंतज़ामात को लेकर कोरी लफ्फाजियाँ करने से बाज नहीं आ रही है. इन सेंटरों में न तो रखे गए लोगों को निर्धारित मेन्यू के मुताबिक भोजन मिल रहा है, न वहाँ पीने और दीग़र ज़रूरतों के लिए पानी है; फलस्वरूप लोग या तो घर जाकर भोजन करते हैं या फिर उनके रिश्तेदार-परिचित भोजन लेकर सेंटर आ रहे हैं. पाबंदी के बावज़ूद सेंटर में रखे गए लोग तालाबों में स्नानादि करने जा रहे हैं. बदइंतज़ामी से त्रस्त होकर लोग इन सेंटरों से भाग रहे हैं. कौशिक ने कहा कि कोरोना को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, यह इसी बात से ज़ाहिर हो रहा है कि उसने बिना तैयारी और गाइडलाइन के यात्री बसों के परिचालन व मॉल, रेस्टोरेंट, होटल खोलने की अनुमति भी प्रदान कर दी. ऐसा करके सरकार ख़तरे को न्योता देने का काम कर रही है. कोरोना संक्रमण को लगभग 100 दिन बीतने आ रहे हैं पर सरकार आज तक न तो पर्याप्त टेस्टिंग लैब की व्यवस्था कर पाई है, न कोविड अस्पतालों की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था कर पाई है और न ही क्वारंटाइन सेंटरों में कोई चाक-चौबंद इंतज़ाम कर पाई है. प्रदेशभर के अमूमन कंटेनमेंट ज़ोन तक बदहाली के शिकार हैं.