रायपुर। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विक्रम उसेण्डी, पूर्व मंत्रीद्वय केदार कश्यप और महेश गागड़ा ने संयुक्त बयान में अपनी मांगों को लेकर जिला प्रशासन से मिलने के लिए जा रहे आदिवासियों को भगाने के प्रयास की कड़ी निंदा की है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक वनवासी भाइयों व बहनों के सब्र का बांध अब टूट गया है। पहले ख़रीदी में धोखा केवल 3 दिन खरीदी करने के बाद खरीदी बंद, 2 साल का बक़ाया बोनस ,बीमा कवर न देना , शिक्षा प्रोत्साहन के तहत तेंदुपत्ता संग्रहकर्ताओं के बच्चों को छात्रवृत्ति न देना और भुगतान को लेकर अनिश्चितता से बस्तर के आदिवासीजन काफ़ी आक्रोश में हैं। वहां उनकी तकलीफ़ सुनने वाला कोई नही है। शासन की लगातार उपेक्षा ने उन्हें आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है। आंदोलनरत भाइयों से केवल कांग्रेस जन प्रतिनिधि को ही मिलने दिया और भाजपा व अन्य राजनीतिक दल के लोगों को मिलने से रोक दिया गया जो राज्य सरकार का तानाशाही रवैय्या है ।

भाजपा नेताओं ने कहा कि बहुत दुःखद है कि अपने हक से वंचित वनवासी दर-दर भटकने को मज़बूर हैं। वोट लेने के लिये उन्हें कांग्रेस द्वारा बुरी तरह छला गया है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि दो साल का बोनस न देने के बाद खरीदी बन्द होने के कारण संग्राहकों को तेंदूपत्ता नदी में फेंकना पड़ा है, पड़ोसी प्रदेश में सस्ते दामो पर बेचना पड़ा। जबकि कांग्रेस सरकार ने सत्ता पाने के लिए झूठे वादे किए, गंगाजल की झूठी कसम खाई, पर सत्ता में आते ही अपने सभी वादों को यह सरकार भूल बैठी है। ऐसी सरकार पर समाज को भरोसा नही रहा। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल सरकार हर मोर्चे पर फेल साबित हुई है। आदिवासियों का आंदोलन कांग्रेस सरकार को उखाड़ फ़ेक देगा, यह ध्यान रखना चाहिये।

नेताओं ने कहा कि आदिवासी भाइयों की माँगें पूरी करना तो दूर, शासन का कोई नुमाइंदा अब उनका दुःख दर्द सुनना तक नही चाहता। उन्होंने कहा कि जहां से मार्च शुरू हुआ था, वहां कोई अधिकारी अगर मिल भी लेता आंदोलनकारियों से तो हालात ऐसे नही ख़राब होते। भाजपा नेताओं ने कहा कि सीधे-साधे बस्तरिया बंधुओं को ठगना, उन्हें खदेड़ना कांग्रेस को काफ़ी महँगा पड़ेगा।