शिवम मिश्रा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में बस यातायात महासंघ को सरकार राज्य में बसें चलाने की अनुमति दे चुकी है. लेकिन यातायात महासंघ अपनी ज़िद पर ही अड़ा हुआ है. महासंघ का कहना है कि सरकार किराया में 30 फीसदी तक बढ़ोत्तरी करे तभी बसें चलेंगी. इधर महासंघ के इस निर्णय के ख़िलाफ़ यात्रियों का गुस्सा फूट रहा है. यात्री इसे बस ऑपरेटरों की मनमानी और सरकार को ब्लैकमेलिंग की कोशिश बत रहे हैं.
करो़ड़ों की छूट फिर भी मनमानी !
छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना संकट के मद्देनज़र 1 अप्रैल को एक अहम फैसला लेते हुए बस और ट्रक ऑपरेटरों सैकड़ों करोड़ों रुपये के टैक्स को माफ किया. सरकार के फैसले से लगभग 221 करोड़ रुपये का फायदा ऑपरेटरों का हुआ है. वहीं राज्य शासन द्वारा संचालित एक मुश्त निपटान योजना के तहत बस-ट्रक ऑपरेटरों को साल 2013 से 2018 तक शासन को देय राशि में से 110 करोड़ रुपये की पेनाल्टी को माफ किया गया है. इस तरह परिवहन विभाग द्वारा वाहन मालिकों को कुल 331 करोड़ रुपये की राशि माफ किया गया है.
यही नहीं राज्य सरकार की ओर से अप्रैल और मई महीने का भी टैक्स माफ किया गया है. इसमें राज्यभर से करीब 15 से 20 करोड़ का टैक्स शामिल है. जून महीने का भी टैक्स माफी पर सरकार निर्णय ले सकती है. सरकार की ओर से बस ऑपरेटरों को राहत देने की हर संभव कोशिश की गई है, की जा रही है. बावजूद इसके महासंघ का रवैय्या अभी तक मनमानीपूर्ण देखने को मिला है.
यातायात महासंघ की मांग
इधर राज्य सरकार के द्वारा दी गई छूट यातायात महासंघ असंतुष्ट है. महासंघ का कहना है सरकार 6 महीने तक की छूट प्रदान करे. इसके साथ ही 30 फीसदी तक किराया भी बढ़ाने की अनुमति प्रदान करे. महासंघ के उपाध्यक्ष सय्यद अनवर अली ने का कहना है कि कोरोना के चलते पिछले 96 दिनों से बसे नही चल रही है. सरकार से हमारी मांग है कि इस संकट के घड़ी में और राहत प्रदान करे. 6 महीनों के टैक्स में छूट देने के साथ ही किराए में 30 फीसदी की वृद्धि करे. साथ ही बसों के स्लीपर में डबल की जगह सिंगल टैक्स ले.
महासंघ के उपाध्यक्ष का कहना है कि फिलहाल सबसे बड़ी समस्या है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रतिदिन डीजल का रेट बढ़ाया जाना. ऐसी स्थिति में अगर हम बसों का संचालन करे तो हमारा भारी नुकसान होगा. ऐसा नहीं है कि बसें नहीं चलाना चाहते हैं, चाहते हैं. हमारी गाड़ियां भी बहुत दिनों से खड़ी है. हमारे साथ-साथ ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर, मैकेनिक सभी लोग परेशान है. लेकिन सरकार हमारी दयनीत स्थिति को भी समझे. गुजरात और राजस्थान में राज्य सरकार ने 6 महीने का टैक्स माफ किया है. लिहाजा छत्तीसगढ़ में 6 महीने तक टैक्स माफी की मांग हम कर रहे हैं.
महासंघ की ज़िद से यात्रीगण नाराज़
महासंघ ने अपनी समस्याओं को बतातें हुए एक तरह से सरकार के सामने बसों के संचलान में असमर्थता जता दी है. लेकिन महासंघ के निर्णय से यात्रीगण ख़ासे नाराज हैं. कई यात्रियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि डीजल बढ़ने पर बस ऑपरेटर किराया तो बढ़ा लेते हैं, लेकिन रेट कम होने पर यात्री भाड़ा में कटौती नहीं करते. यातायात महासंघ अपनी ज़िद को पूरा कराने में मनमानी करते रहते हैं. एक तरह से ब्लैकमेलिंग की कोशिश वे करते हैं. सरकार को साधने कई तरह से दवाब बनाते हैं. लेकिन यात्रियों को सुविधा प्रदान नहीं करते. यात्रियों ने यहाँ तक कहा महासंघ की मांग सरकार न माने और यात्री किराया में किसी भी तरह से वृद्ध न करे.