वैभव बेमेतरिहा/ अमित मिश्रा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के संत सतनामी समाज के धर्म गुरु बाबा गुरु घासीदास की तस्वीर के साथ एक बार फिर छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. सबसे अहम बात ये है कि ये गलती इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हुई है. इससे पहले गलती राज्य शैक्षणिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान की ओर से हो चुकी है. मामला पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर प्रकाशित पी.जी. डिप्लोमा इन योगिक साइंस में हुई गलती का है. इसमें हठयोग विषय को द्वितीय प्रश्न-पत्र के रूप में रखा है. इसमें हठयोग की क्रियाओं के बारे में जानकारी दी है. हठयोग के रचियता योगाचार्य रहे स्वामी चरणदास ने की. पी.जी. डिप्लोमा इन योगिक साइंस के इस किताब के लेखक डॉ. ओमनारायण तिवारी हैं.

लेखक डॉ. ओमनारायण तिवारी और प्रकाशक पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय प्रशासन से गलती ये हुई है कि हठयोग का विषय तो सही है और उसके रचियता स्वामी चरणदास भी सही है, लेकिन तस्वीर जो इस्तेमाल की गई है वो संत बाबा गुरु घासीदास की है. लेखक और प्रकाशक ने बाबा गुरु घासीदास को इस किताब में स्वामी चरणदास बता दिया है.

कुलपति ने कहा गलती हुई है, जांच कमेटी गठित

इस मामले में लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कुलपति बी.जी. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गलती हुई है. इसके लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं. बुधवार को हमसे सतनामी समाज के लोगों ने मिलकर इस पर आपत्ति जाहिर की थी. हमने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है. जिन लोगों की जांच कमेटी बनाया गया है उसमें सतनामी समाज से बंसत अंचल, विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय समन्वयक बीएल गोयल, हिन्दी विभाग के डॉ. जयपाल शामिल है. शुक्रवार तक जांच रिपोर्ट मिल जाएगी. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. वहीं चित्र के साथ जो नाम गलत छपे है उसे हटाया जाएगा.

आपको बता दे कि इससे पहले राज्य शैक्षणिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान की ओर से प्रकाशित एक किताब में संत गुरु घासीदास की तस्वीर को रावण की तरह दिखा दिया गया था. इसे लेकर खूब बवाल मचा था. सतनामी समाज के साथ कई सामाजिक संगठनों ने जमकर विरोध किया था. इस मामले में सरकार को भी जवाब देना पड़ा था. विरोध के बाद एसीईआरटी ने माफी मांगते हुए किताब के वितरण पर रोक लगा दी थी. साथ वितरित किताबों को वापस मंगा ली थी.