रायपुर। सराफा व्यापारियों ने फरवरी 2021 से गहनों में हॉलमार्किंग की अनिवार्यता के फैसला पर छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स, छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन और रायपुर सराफा एसोसिएशन ने विरोध जताया है. सराफा व्यापारियों ने फैसले को फरवरी 2022 तक स्थगित करने की मांग की है.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 20 फरवरी 2021 से गहनों पर हॉलमार्किंग की अनिवार्यता का फैसला लिया है. इस अवधि के बाद बिना हॉलमार्क वाले गहने बेचने वाले व्यापारियों को जेल या जुर्माने का प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ खड़े सराफा व्यापारियों का कहना है कि लॉकडॉउन के कारण उनके पास पुराना स्टॉक बचा है. ऐसे में केंद्र सरकार के इस फैसले को लागू किए जाने से देशभर में सराफा व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
सराफा व्यापारियों ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस तरह का फैसला तो लिया जा रहा है, लेकिन इसके लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नही की गई है. वहीं कोरोना वायरस के कारण मार्च से लगे लॉकडाउन और उसके बाद लगातार सोने-चांदी के बढ़ते दामों के कारण ग्राहक गहना ले नहीं रहे हैं. ऐसे में दीपावली तक तो मार्केट सूना रहेगा. ऐसे में हमारे पास पुराना स्टॉक पड़े रहेगा, और फरवरी से हॉलमार्किंग की अनिवार्यता हुई तो हमारा भारी नुकसान होगा.
सराफा व्यापारियों ने कहा कि छतीसगढ़ में 5,500 सराफा व्यापारी है. और पूरे प्रदेश में व्यक्तिगत हॉलमार्किंग सेंटर सिर्फ 6, जिसमें से रायपुर जिले में 4, दुर्ग में 1 और बिलासपुर में 1 है. ऐसे में अन्य जिलों के व्यापारियों को अपना गहना यहां लेकर आना होगा, जो खतरे से खाली नही है. रास्ते मे अगर कोई दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि देश के प्रत्येक जिलों और कसबों में शासकीय हॉलमार्किंग सेंटर खोला जाए. जिससे व्यपारियों की सुरक्षा बनी रहे.
सराफा व्यापारियों ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी परेशानियों से अवगत कराएंगे. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा हॉलमार्किंग के लिए केवल 14, 18, और 22 कैरेट गोल्ड का स्टैंडर्ड रखा गया है. हमने 20 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी के लिए केंद्र सरकार से मांग की थी, जो कि आम जनता के लिए सर्वाधिक हितकारी है, लेकिन इस मांग को भी अनदेखी किया जा रहा है.