रायपुर। मिशन 2018 की तैयारी में लगी भाजपा ने विपक्षी दलों को मात देने की रणनीति बना ली है. जिसके तहत ही किसानों को बोनस बांटने के बाद भाजपानीत प्रदेश सरकार अब आदिवासियों को भी बोनस बांटने का फैसला किया है. राज्य सरकार आदिवासियों को वनोपज पर बोनस देगी. माना जा रहा है कि आदिवासियों को यह तोहफा इस साल के अंत में दिया जाएगा. जिसमें तकरीबन 200 से करोड़ रुपए का बोझ सरकार पर आएगा.
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इसकी घोषणा महासमुंद में बोनस तिहार के मौके पर की. मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि किसानों को 15 अक्टूूबर तक बोनस बांटने के बाद वनोपज का बोनस बांटने वनवासी भाईयों के बीच जाएंगे.
विपक्षी दलों को झटका
आदिवासी अंचलों में पिछले कुछ समय से सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी देखी जा रही थी. आदिवासियों की इसी नाराजगी को भुना कर विपक्षी दल कांग्रेस और नए दल के रुप में अस्तित्व में आई जोगी कांग्रेस सत्ता के सुनहरे ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने वनोपज पर बोनस बांटने और स्मार्ट फोन बांटने का ऐलान कर विपक्ष की उम्मीद पर पानी फेर दिया है. सीएम की इस घोषणा के बाद अब कांग्रेस और जोगी सेना को मुख्यमंत्री के इस ब्रम्हास्त्र की काट ढूंढ़नी पड़ेगी. और आदिवासियों को सरकार के खिलाफ लामबंद करने की नई रणनीति बनाना पड़ेगा.
आदिवासी सीटों पर है फोकस
राज्य में 29 आदिवासी सीटें है जिसमें वर्तमान में 18 कांग्रेस और 11 बीजेपी के पास है. भाजपा इन सीटों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस से पिछड़ गई थी. जिसे देखते हुए यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक को यहां डेरा डालना पड़ा और खाट व पत्तल नीति को अपनाते हुए आदिवासियों के घर खाना भी खाना पड़ा.
भाजपा ही नहीं कांग्रेस भी आदिवासियों का दिल जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, कांग्रेस भी जानती है कि सत्ता में पहुंचने का रास्ता आदिवासी अंचलों से होकर ही जाता है. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस युवराज राहुल गांधी हाल ही में कुछ महीने पहले सीधे बस्तर दौरे पर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. जहां उन्होंने आदिवासियों और उनके रोजगार धंधों का भी मुद्दा उठाया था.
फिलहाल आदिवासी किसके साथ जाएंगे और सत्ता का सेहरा किसके सिर पर बंधेगा उसके लिए अभी साल भर का समय बाकी है लेकिन सत्ता पाने की कसरत अभी से शुरु हो गई है.