रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अजीत जोगी की जाति संबंधी याचिका खारिज होने पर कांग्रेस नेता और याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने कहा कि इसका ये मतलब ये नहीं कि मसला खत्म हो गया है. हमारी लड़ाई अभी जारी रहेगी. कोर्ट ने 2013 में लगी याचिका पर फैसला लिया है. लेकिन 2019 में एक फैसला राज्य सरकार की हाईपॉवर कमेटी का भी आ चुका है. जिसमें जोगी को आदिवासी मानने से इंकार किया गया था. कमेटी की इसी रिपोर्ट में स्वर्गीय अजीत जोगी खिलाफ एफआईआर भी दर्ज किया गया था. इस मामले की जाँच जारी है.
उन्होंने यह भी कहा कि अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी के खिलाफ भी जिला स्तरीय छानबीन समिति की जांच जारी है. हमने इस मामले में भी शिकायत की है. अजीत जोगी भले अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी जाति को लेकर लड़ाई जारी रहेगी. अमित जोगी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. अमित जोगी को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि रेणु जोगी, अमित जोगी को अभी खुश होने की जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने अजीत जोगी जाति मामले में छानबीन समिति की रिपोर्ट को वापस लिए जाने पर नंद कुमार साय और संत कुमार नेताम की याचिका खारिज कर दिया है. न्यायालय के निर्णय पर अमित जोगी ने संतुष्टि जताते हुए ट्वीट किया था- ‘सत्यमेव जयते!’. JCCJ अध्यक्ष अमित अजीत जोगी और कोटा विधायक डॉ. रेणु जोगी ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अजीत जोगी के आदिवासी होने के गौरव और अस्मिता के ऊपर कभी भी कोई आंच नहीं आ सकती है.
JCCJ प्रवक्ता एवं अधिवक्ता भगवानु नायक ने बताया कि 15 जुलाई को उच्च न्यायालय ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश ने एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है कि पूर्ववर्ती रमन सरकार द्वारा छानबीन समीति की रिपोर्ट वापस लेने का प्रमुख कारण 2013 छत्तीसगढ़ जाति निर्धारण नियमों के विपरीत उनको बिना सुनवाई का अवसर दिए मनगढ़ंत रिपोर्ट तैयार करना था.
छानबीन समिति ने 2013 कि रिपोर्ट में जोगी को आदिवासी मानने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ अजीत जोगी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई के दौरान तत्कालीन महाधिवक्ता ने छानबीन समिति की रिपोर्ट को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि कमेटी ने ठीक से तथ्यों की जांच नहीं की है. इस के खिलाफ 2014 में संत कुमार नेताम ने याचिका लगाई थी.