अखिलेश जायसवाल,रायपुर। छत्तीसगढ़ की पहली तिहार ‘हरेली’ के अवसर पर सरकार की महत्वाकांक्षी ‘गोधन न्याय’ योजना की शुरुआत हुई है. न केवल शुरुआत हुई, बल्कि यह योजना देश में एक अलग मुकाम हासिल करने की ओर अग्रसर है. यह योजना किसानों की समृद्धि और खुशहाली के लिए तोहफा से कम नहीं है. राज्य की गोधन न्याय योजना को मशहूर भारतीय रेत कलाकार और पद्म पुरस्कार से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने देश में एक अलग पहचान दिलाई है.

अब ‘गोधन न्याय’ योजना के महत्व को प्रदेश में ही नहीं देश में भी लोग जानेंगे. इस योजना के जरिए सरकार पशुपालकों से गोबर खरीदेगी. परिवहन व्यय के साथ गोबर के दाम प्रतिकिलो 2 रुपए तय किए गए हैं. पहली बार कोई सरकार गोबर खरीदी कर रही है. ऐसा करने से भूपेश सरकार का किसानों और गरीबों के सामने कद और ऊंचा हुआ है. यह कहना गलत नहीं होगा, कि भूपेश सरकार किसान हितैषी सरकार है.

गोधन न्याय योजना पर चार चांद लगाया है प्रख्यात भारतीय रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने. पुरी में समुंद्र के किनारे सुरदर्शन ने ‘गोधन न्याय’ योजना की रेत से खूबसूरत तस्वीर उकेरी है. कलाकृति में गाय और छत्तीसगढ़ के नक्शे को दर्शाया है. उसके नीचे एक प्यारा सा संदेश भी दिया है, जिसमें लिखा है कि ‘ये है गाय पर जननीति, गोबर खरीदेगी भूपेश बघेल की सरकार’. उन्होंने भूपेश सरकार को इस योजना पर बधाई भी दी.

सुदर्शन पटनायक ने ट्वीट कर कहा कि ‘छत्तीसगढ़ के लोक पर्व ‘हरेली’ के मौके पर ‘गोधन न्याय’ योजना की शुरुआत पर भूपेश सरकार को बधाई. My best wishes to them with this sand art.’

रेत से बने इस तस्वीर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी रिट्वीट किया है. उन्होंने रिट्वीट करते हुए कहा कि ‘जब कला और संस्कृति कर्मी किसी लोक योजना को अंगीकार करते हैं, तभी उसका सच्चा लोकार्पण होता है. बहुत धन्यवाद सुदर्शन पटनायक’.

पटनायक इससे पहले भी समुद्र किनारे कई अद्भुत कलाकृतियां बनाकर दुनिया को हैरान कर चुके हैं. साथ ही लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कर चुके हैं. उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. पटनायक की बनाई गई कलाकृतियां न केवल दुनिया को शांति और अमन का संदेश देती है, बल्कि अपनी संस्कृति और पर्यावरण को भी बचाए रखने का भी संदेश देती है.

भूपेश सरकार की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना के जरिए किसानों- गोपालकों से खरीदी गई गोबर की वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार होगी. जिसे बाद में किसानों को ही बेचा जाएगा. इसमें जहां पशुपालकों को चौपाइयों की देखभाल में मदद मिलेगीवहीं दूसरी ओर कृषि भी रासायनिक खाद से मुक्त होगी. वर्मी कपोस्ट का उपयोग कर किसान जैविक खेती के लिए कर पाएंगे. पशुधन की खुली चराई पर भी रोक लगेगी.

छत्तीसगढ़ में अब तक 5 हजार 300 गोठान स्वीकृत किए जा चुके हैं. जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 हजार 408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गोठान बन चुके हैं. इन गोठानों के द्वारा पाशुपालकों से गोबर की खरीदारी की जाएगी. हालांकि राज्य सरकार ने प्रदेश की सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गोठान निर्माण का लक्ष्य रखा है, ताकि सभी गांव से गोबर की खरीदारी हो सके.