रायपुर। सावन महीने के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक हरियाली तीज है. सौंदर्य और प्रेम के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहते हैं. श्रावण मास की शुक्ल तृतीया (तीज) को हरियाली तीज का लोकपर्व मनाते हैं. पूरे उत्तर-भारत में तीज पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को श्रावणी तीज और हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती है. इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती है. हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस बार हरियाली तीज का ये पर्व 23 जुलाई यानी आज है. तृतीया तिथि 22 जुलाई दिन बुधवार को सायंकाल 7:05 से प्रारंभ होकर 23 जुलाई दिन गुरुवार को शाम 5:03 तक है.

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व

भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 बार जन्म ली थीं. मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई. हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है. शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था.

हरियाली तीज पूजा विधि

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इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए. अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें. मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती, भगवान शिव तथा गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.

षोडशोपचार पूजन करें. सबसे पहले पूजन के आरंभ में संकल्प लिया जाता है फिर भगवान गणेश जी का पूजन करें कलश पूजन करें फिर पार्वती जी को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। फिर शिवजी को भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद हरियाली तीज की कथा सुनें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। अखंड सौभाग्य को देने वाली माता पार्वती से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करे.

‘देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।’

हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैंसाथ ही झूला भी झूलती है।
श्रावण मास में घेवर, फेनी और सेवईयों का प्रचलन अधिक है। तीज से एक दिन पहले बहनों और बहुओं को सिंघारा दिया जाता है। इसमें वस्त्र, सौभाग्य सामग्री, घेवर, फेनी, फल आदि झूल-पटरी शामिल होता है। हरियाली तीज को ठाकुरजी को भी मालपुओं का भोग निवेदित किया जाता है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त –

अभिजीत मुहूर्त: 23 जुलाई को सुबह 11:44 बजे से 12:36 तक।
शुभ शाम 5: 06 से 6:45 तक तथा प्रदोषकाल।

संजय चौधरी श्री फलित ज्योतिष रायपुर 9977567475