रायपुर- देश में बाघों की स्थिति पर केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई हालिया रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के संदर्भ में दिए गए आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बाघों की संख्या महज 19 रह गई है, जबकि पिछली रिपोर्ट में यह संख्या 49 बताई गई थी. केंद्र के इस रिपोर्ट को राज्य सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह तथ्यात्मक रूप से सही नजर नहीं आ रही है, जबकि बीजेपी ने बाघों की संख्या में आई कमी पर सरकार पर निशाना साधा है. इस बीच बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर किन हालातों में राज्य में बाघों की संख्या में इतनी बड़ी कमी दर्ज की गई?

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के एक दिन पहले ही केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साल 2018 की बाघों की जनगणना रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के बाद राज्य में बाघों का संरक्षण और प्रबंधन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है? सवाल इस बात को लेकर खड़े हो रहे हैं कि साल 2017 में जारी रिपोर्ट में राज्य में 49 बाघों के होने का दावा किया गया था, तो साल 2018 की रिपोर्ट में यह महज 19 कैसे हो गए? वन महकमा राज्य में बाघ की संख्या में इजाफा होने का लगातार दावा करता रहा है. अब जब रिपोर्ट में संख्या में आश्चर्यजनक कमी देखी जा रही है, तो महकमा बाघों के दूसरे राज्यों में चले जाने की आशंका जता रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जहां बाघों की संख्या में 33 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं छत्तीसगढ़ में 60 फीसदी की कमी आई है. केंद्र सरकार की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सियासी सवाल जबाव भी उठ खड़े हुए हैं.

पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि यह दुखद है कि राज्य में बाघों के कम होने के आंकड़े आए हैं. इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि राज्य में वन्य जीवों और जंगलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. जंगल पूरी तरह से असुरक्षित है. जंगलों में लगातार प्राणियों का शिकार हो रहा है. यह दुर्भाग्यजनक है. बीजेपी के प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि तत्कालीन बीजेपी सरकार के दौरान जो आंकड़ें आए थे, उसमें बाघों की संख्या 49 थी, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार आने के बाद संख्या में आई गिरावट बेहद चिंताजनक है. इधर राज्य सरकार ने केंद्र के आंकड़ों पर संदेह जताया है. सरकार के वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि केंद्र सरकार के आंकड़ों से ज्यादा बाघ छत्तीसगढ़ में हैं. केंद्र की रिपोर्ट में तथ्यात्मक सच्चाई नहीं है. 

राज्य में बाघों के संरक्षण पर सवाल आज से नहीं उठ रहे. तत्कालीन रमन सरकार के दौरान भी बाघों के संरक्षण को लेकर सवाल उठते रहे हैं. साल 2018 में जब आंकड़ें बढ़कर 49 तक जा पहुंचे, तब भी केंद्र की रिपोर्ट पर संदेह जताया गया था कि अचानक से बाघों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी कैसे हो गई. दरअसल साल 2006 में हुई गणना में राज्य में 26 बाघ थे. वहीं साल 2010 में भी 26 बाघ मिलने के दावे थे. वहीं साल 2014 में इनकी संख्या बढ़कर 49 हो गई थी. साल 2018 की रिपोर्ट में अब 19 बताया जा रहा है. जाहिर है आंकड़ों में सवाल उठना लाजिमी है.