रायपुर- करीब 34 साल बाद केंद्र सरकार ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. बच्चों पर जहां बोर्ड परीक्षा का भार कम किया गया है, वहीं उच्च शिक्षा के लिए अब सिर्फ एक नियामक बनाया गया है. पढ़ाई बीच में छूटने की वजह से पहले की पढ़ाई बेकार नहीं होगी. उच्च शिक्षा में एक साल की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट, दूसरी साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा मिलेगा. केंद्र सरकार ने दलील दी है कि नई नीति से 2030 तक प्री प्राइमरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक सौ फीसदी और उच्च शिक्षा में 50 फीसदी प्रवेश दर हासिल किया जा सकेगा. नई शिक्षा नीति को लेकर बीजेपी ने कहा है कि यह क्रांतिकारी परिवर्तन है.

नौकरशाही से नेता बने ओम प्रकाश चौधरी ने कहा कि देश को नई शिक्षा नीति की जरूरत थी. 34 सालों बाद इसमें अहम बदलाव मुमकिन हो सका है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि आजादी के इतने सालों बाद भी मैकाले की शिक्षा पद्धति सिस्टम में बनी हुई थी. यह देश को पीछे ले जाने वाली पद्धति थी. नई शिक्षा नीति में ढेर सारे अच्छे कदम उठाए गए हैं. इसमें मूल रूप से इस बात पर जोर दिया गया है कि शिक्षा व्यक्तित्व विकास का साधन बने न कि मैकाले की शिक्षा पद्धति की तरह अंग्रेजी शिक्षा हासिल कर बाबू बनाया जाए. इसी दृष्टिकोण से नई नीति में कई क्रांतिकारी परिवर्तन किए गए हैं.

चौधरी ने कहा कि 10 प्लस 2 का कांसेप्ट हटाकर 5+3+3+4 का सिस्टम लागू किया गया है. इससे सरकारी औऱ निजी स्कूल के बीच का अंतर खत्म होगा. रिसर्च के क्षेत्र में नए आयाम खुल सकेंगे. नई नीति में यह स्पष्ट है कि किसे नौकरी की दिशा में आगे बढ़ता है और किसे रिसर्च के क्षेत्र में जाना है.एमफिल का लेयर खत्म कर सीधे पीएचडी किए जाने का रास्ता खुला है. फिजिक्स, केमेस्ट्री जैसे विषयों के साथ म्यूजिक, फैशन डिजाइनिंग की जा सकती है.

ओम प्रकाश चौधरी ने कहा कि एजुकेशन में लिबर्टी लाने की कोशिश की गई है. फाउंडेशन कोर्स मातृभाषा में होगी, इससे व्यक्तित्व का बेहतर विकास हो सकेगा. नई नीति में बस्ते के बोझ पर आधारित शिक्षा से आजादी मिलेगी. 65 फीसदी से ज्यादा युवा आबादी वाला भारत नई शिक्षा नीति से विश्व शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा. आज देश को राइट टू एजुकेशन से ऊपर उठकर राइट टू इक्वल एजुकेशन की दिशा में सोचना होगा. यह इसकी शुरूआत है.