रायपुर। आज दुनिया के एक ऐसे महान कहानीकार, उपन्यास सम्राट की जयंती जो हर वर्ग में पढ़े भी गए और गढ़े भी गए. उनकी कहानियों से करोड़ों लोग प्रभावित हुए, उनकी कहानियों में लोगों ने स्वयं को देखा, जीया. सच में कथा-कहानियों के वे एक ऐसे जादूगर थे जो उन्हें पढ़ने वालों को आज के इस तकनीकी युग में भी मोहित कर देते हैं. बात मुंशी प्रेमचंद की हो रही है. उस प्रेमचंद की जिनकी आज 140वीं जयंती है.
मुंशी प्रेमचंद ने कई कहानियाँ लिखी और उपन्यास भी लिखे. लेकिन आप में से ऐसे कम ही लोग होंगे जो यह जातने होंगे कि उन्होंने फिल्म की कहानी भी लिखी थी. मतलब प्रेमचंद बतौर स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर भी जाने गए.
मिल मजदूर
साल 1942 में एक हिंदी सिनेमा के पर्दे पर एक फिल्म आई थी. फिल्म का नाम था मिल मजदूर. इस फिल्म का निर्माण अंजता सिनेटोन ने किया था और निर्देशन किया मोहन भवनानी. लेकिन ब्लैक एंड व्हाइट इस फिल्म की कहानीकार थे मुंशी प्रेमचंद. बताते हैं इस फिल्म के लिए उस दौर में उन्हें 8 हजार रुपये मिले थे. उन्होंने कुछ समय मुंबई फिर गुजारा था.
एक छोटी सी भूमिका
यह फिल्म एक मिल मालिक और मजदूरों के बीच की दशा के साथ अमीर बाप के बिगड़े हुए नवाब पर आधिरत थी. इसमें कर्मचारियों और मजदूरों के साथ होने वाले शोषण को दिखाया गया था. यह शोषण मिल मालिक का बिगड़ैल बेटा करता था. इसके खिलाफ मजदूर मोर्चा खोलते हैं. इस मोर्चे का साथ देती हैं मिल मालिक की बेटी. मतलब बहन अपने भाई के विरोध में आगे आती है. प्रेमचंद इस विरोध के स्वर के नेता बने. उन्होंने इस फिल्म मजदूरों के नेता के रूप में छोटी सी भूमिका निभाई थी.
टीवी धारावाहिक और फिल्म बनते रहे
मुंशी प्रेमचंद मिल मजदूर के अलावा अन्य और किसी फिल्म के लिए कोई कहानी लिखी हो ये जानकारी नहीं मिलते. लेकिन ये जरूर हैं कि उनकी कहानियों और उपन्यासों पर टीवी धारावाहिक और फिल्में बनते रहे. निर्देशक गुलज़ार ने प्रेमचंद की कहानियों को टीवी पर अमर बनाने का किया. वे लोग जो किताबों के जरिए प्रेमचंद तक नहीं पहुँच पाए वे टीवी के माध्यम से प्रेमचंद को अपने नजदीक पाते रहे.