रायपुर. कहीं एक ट्वीट नहीं है. पीएम से लेकर राष्ट्रपति का कोई बयान नहीं है. लेकिन हम आपको याद दिला रहे हैं कि आज असहयोग आंदोलन की 100 वर्ष पूरे हो गए. असहयोग आंदोलन हिंदुस्तान का पहला अहिंसक आंदोलन है. जिसने देश की आज़ादी की लड़ाई की दिशा तय की.
इस आंदोलन को बेहद सहयोग माना गया क्योंकि इस आंदोलन से देश में स्वाधीनता को लेकर जागृति आई. इस आंदोलन के बारे में गांधीवादी विक्रम सिंघल कहते हैं कि असहयोग आंदोलन की शुरुआत खिलाफत आंदोलन के साथ हुई थी.
इस आंदोलन को 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी ने शुरु किया था. जिसका मकसद स्वराज और संपूर्ण स्वाधीनता था. इस आंदोलन ने लाल बहादूर शास्त्री जैसे नेताओं से सरकारी पढ़ाई का बहिष्कार और सरदार पटेल जैसे नेताओं के ज़रिए वकालत का बहिष्कार कराया. इसके बाद पूरे देश में राष्ट्रीय विद्यालय और महाविद्यालयों की स्थापना हुई. इसी आंदोलन के दौरान 1921 के कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में मौलाना हरसत मोहानी ने संपूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पेश किया.
इस अवसर पर गांधी जी ने कहा था कि अगले 100 वर्षों तक हिंदू-मुस्लिम एकता का ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा. आज 100 वर्ष पूरे हो गए हैं. अब हमें वो मौका ढूंढना होगा और यही असहयोग आंदोलन की विरासत पर हमारी आस्था का प्रमाण होगा.