पालिटिशियन विद डिफरेंस, एमएलए ऑन स्कूटी जैसे खिताबों के साथ राजनीति करने वाले विधायक कुलदीप जुनेजा को हाऊसिंग बोर्ड की अहम जिम्मेदारी मिली है. कुलदीप जुनेजा को ये तमाम खिताब उनकी सरलता, सुलभता और साधारणता की वजह से देते हैं. दूसरी बार विधायक बनने के बाद कुलदीप को बड़ा बोर्ड मिला है. कुलदीप दोनों बार विधायक बने तो शपथ लेने विधानसभा स्कूटी से गए. हाऊसिंग बोर्ड के अध्यक्ष बने तब भी पदभार ग्रहण करने स्कूटी से गए.

कुलदीप जुनेजा ने अपनी पहचान रायपुर के नेता की बनाई और इसे कायम रखी. वे अपने कार्यकर्ताओं को आर्थिक लाभ पहुंचाने की राजनीति करने की बजाय जनता की सेवा और उनके बीच रहने और घुलने-मिलने वाली राजनीति करते हैं. उनकी छवि ईमानदार और सक्रिय राजनेती की रही है. कोरोना काल में उन्होंने घुम-घुमकर लोगों की मदद की. मुख्यमंत्री राहत कोष में बड़ी संख्या में लोगों से दान कराया.

छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अलग-अलग दौर में कांग्रेस में शिखर पर कई नेता आए-गए-बने रहे. लेकिन कुलदीप जुनेजा पर किसी नेता की छाप नहीं रही. उनकी पहचान स्वतंत्र बनी रही. वीसी शुक्ला खेमे का उन्हें कहा गया लेकिन वे कभी वीसी के इर्द गिर्द नजर नहीं आए. पार्टी के प्रति उनकी वफादारी को देखते हुए भूपेश बघेल ने उन्हें हाउसिंग बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी है.

 

जिस विभााग का ज़िम्मा कुलदीप को मिला है, उसकी माली हालत खराब है. कई शहरों में मकान बिक नहीं रहे हैं. विभाग गुणवत्ता को लेकर सवालों के घेरे में रहा है. भ्रष्टाचार के लिए विभाग के कई अधिकारी कुख्यात रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि ईमानदार और मितव्ययी छवि वाले कुलदीप कैसे काम करेंगे. इन्हीं सवालों को लेकर हमने उनसे हमने बात की.

 

रुपेश गुप्ता आप अध्यक्ष बन गए हैं. आपको बधाई. क्या-क्या काम करेंगे हाउसिंह बोर्ड में ?

कुलदीप जुनेजा- अधिकारियों से चर्चा की है. सीएम भूपेश बघेल का धन्यवाद. उन्होंने एक कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी दी है. मैं विश्वास दिलाता हूं कि कड़ी मेहनत करके काम करूंगा. गरीबों को मकान दिलाना है. बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं. कई सालों से जगह-जगह मकान बने हैं. बिके नहीं है. आमतौर पर हाउसिंग बोर्ड की लोकेशन भी अच्छी रहती है तो क्यों नहीं बिकते. इसी को समझने की कोशिश कर रहे हैं. उस जगह पर जाएंगे. मुआयना करेंगे. इसे लेकर रणनीति बनाई जाएगी कि कैसे ये मकान बिकें. मेरी पहली प्राथमिकता है कि सालों से जो प्रापर्टी बची हुई है वो बिक जाए.

रुपेश गुप्ता – नए प्रोजेक्ट भी आएंगे ?

कुलदीप जुनेजा- नए प्रोजेक्ट पर भी काम होगा लेकिन आप देख रहे हैं कि स्थिति कैसी है. थोड़ा हम कोरोना से उबर जाएं. कोरोना से जीत जाएं. तो इसमें कोई दो मत नहीं नए-नए प्रोजेक्ट्स लेकर आएंगे और लोगों को सुविधाएं भी देंगे.

रुपेश गुप्ता – बड़ी शिकायत रहती है कि हाऊसिंग बोर्ड के मकान अच्छे नहीं होते. क्वालिटी भी खराब होती है. जिसकी वजह से हाऊसिंग बोर्ड की हालत खराब है

कुलदीप जुनेजा – 15 साल बीजेपी की सरकार थी. इन्होंने क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया. ये सिर्फ इसी में पड़े रहे कि नई जगह पर नए प्रोजेक्ट लाए जाएं  और बेचकर निकला जाए. जो पुरानी पड़ी चीजें है, हमारी प्राथमिकता रहेगी कि उसे बेचे और पैसे उसी से लाएं. हाऊसिंग बोर्ड बड़ी संस्था है.प्रदेश में बड़ा अमला है. और सब मिलकर हाऊसिंग बोर्ड के माध्यम से बहुत सारा काम कर सकते हैं, और करेंगे

रुपेश गुप्ता – पिछली सरकार में इस विभाग के अधिकारी करप्शन को लेकर चर्चित रहे हैं. इससे कैसे निपटेंगे. आपकी छवि ईमानदार नेता की है तो कैसे काम करेंगे ?

कुलदीप जुनेजा – जो भाजापा सरकार में करप्शन किया है…जो किया है वो भुगतेगा.मैं कोशिश करूंगा कि इस कार्यकाल में कम से कम इस प्रकार का करप्शन करने की छूट नहीं दूंगा

रुपेश गुप्ता –  आपकी छवि सबके लिए उपलब्धता वाली रही है. स्कूटर से घुमने वाले नेता की रही है. अब आप बड़े ओहदेदार हो गए हैं क्या बदलाव देखने को मिलेगा ?

कुलदीप जुनेजा – बड़ी जवाबदारी है. अच्छा लग रहा है और अच्छा तब लगेगा जब इस पर खरा उतरूंगा और कुछ करके दिखाऊंगा. कोई बदलाव नहीं है. यहां शपथ लेने आया तो अपनी पत्नी के साथ स्कूटर से आया था.मैं विधासभा भी स्कूटर से जाता रहा हूं. लेकिन यहां रोज़ स्कूटर से आना संभव नहीं होगा लेकिन शहर के अंदर स्कूटर से घुमूंगा.

राजनीतिक करियर

कुलदीप जुनेजा राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र में अपने बड़े भाई और रायपुर के पूर्व मेयर बलवीर जुनेजा के सानिध्य में सक्रिय हुए. पहला चुनाव हारने के बाद कुलदीप 2000 में रायपुर नगर-निगम में पार्षद बने. इसके बाद 2004 में फिर ये दूसरी बार पार्षद बने. इसी कार्यकाल में इन्हें पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष बना लिया. 2008 में कुलदीप को रायपुर उत्तर से टिकट मिली और वे चुनाव जीतकर विधायक बने. विधायक बनने के बाद रायपुर में प्रदूषण को लेकर बीजेपी के देवजी भाई पटेल के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. इन्होंने सीमेंट कंपनियों के घेरेबंदी करके रेट बढ़ाने के मसले को भी उठाया. लेकिन 2013 में ये विधानसभा चुनाव हार गए. 2018 में वे फिर से दूसरी बार विधायक बने.

इस दौरान कुलदीप जुनेजा अपनी व्यवहार कुशलता और  सेवा की प्रतिबद्धता के साथ सक्रिय रहे. कुलदीप जुनेजा इस दौरान खेलों से भी जुड़े रहे. वे टेबल टेनिस असोसिएशन के अध्यक्ष और ऑलंपिक संघ के उपाध्यक्ष बने रहे.

नकारात्मक पहलू- कुलदीप जुनेता की छवि एक ईमानदार और पोटेंशियल लीडर है लेकिन उन्होंने खुद को हमेशा अपने शहर और विधानसभा की राजनीति तक सीमित रखा. पैसे खर्च करने के मामले में वे बेहद मितव्ययी हैं. राजनीति के इस दौर में ये आदत नुकसानदेह साबित होती है. 2013 में उनके हार की एक वजह यही बताई गई. कुलदीप जुनेजा की राजनीति को लेकर एक सोच है जिसके दायरे से वो बाहर नहीं निकलते दिखते हैं.