सत्यपाल सिंह,रायपुर। lalluram.com की खबर का एक बार फिर बड़ा असर देखने को मिला है. निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के बहाने मनमाना फीस वसूली किए जाने की खबर को हमने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिर निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम कब लगेगी ? सवाल उठना इसलिए भी लाजमी है, क्योंकि शिक्षा विभाग से शिकायतें तो कई बार की गई, लेकिन अभी तक एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है.

छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि हाईकोर्ट के फीस लेने का आदेश जारी होते ही निजी स्कूलों की फीस वसूली की मनमानी चरम पर है. स्कूलों को थोड़ी सी छूट क्या मिली, वो पालकों पर दबाव बना रहे हैं. यहां तक की ट्यूशन फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया जा रहा है. जिससे बच्चे क्लास का फायदा नहीं उठा पा रहे. ऐसे में इन स्कूलों पर कार्रवाई होनी चाहिए. हालांकि आयोग ने पत्र में स्कूलों का जिक्र नहीं किया है, लेकिन अमूमन सभी स्कूलों का यही हाल है.

आयोग ने पत्र में यह भी लिखा है कि बालहित संरक्षण के तहत बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के अध्याय 3 की धारा 14(1) प्रदत्त शक्तियों का अपयोग करते हुए बाल संरक्षण आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लिया है. आयोग ने इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को जल्द ही आयोग कार्यालय तक अवगत कराने की बात कही है.

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता दिनेश शर्मा ने बाल संरक्षण आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह संज्ञान बिलकुल जनहित में है. अब निजी स्कूलों की ट्यूशन फीन की मनमानी पर बड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने खबर को प्रमुखता से उठाने पर lalluram.com का धन्यवाद भी किया.

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बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले और शिक्षाविभाग की लचर व्यवस्था के बीच स्कूलों ने पालकों से फीस वसूलना शुरू कर दिया है. निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के बहाने पालको से पैसे वसूल रहे हैं. यह स्थिति इसलिए बनी, क्योंकि राज्य में ना ही फीस निर्धारित है ना ही अनुमोदित है. यही वजह है कि निजी स्कूल इसका फायदा उठाते हुए फीस वसूली कर रहे हैं. ऐसी में पैरेंट्स एसोसिएशन ने भी शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग को ज्ञापन सौंपकर ट्यूशन फीस को परिभाषित और अनुमोदित करने की मांग की थी.