रायपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तीन सदस्यीय टीम 31 जुलाई को दंतेवाड़ा के पालनार छात्रावास की छात्राओं से छेड़खानी के मामले की जांच के लिए मंगलवार को रायपुर पहुंच रही है. यहां से टीम बुधवार को पालनार आश्रम जाएगी और मामले की जांच करेगी.
31 जुलाई को एक निजी चैनल के रक्षा बंधन के कार्यक्रम में पालनार छात्रावास में स्कूली छात्राओं के साथ छेड़खानी हुई थी. छेड़खानी का आरोप सीआरपीएफ के कुछ जवानों पर लगा था. ममता शर्मा का आरोप है कि छात्राओं की शिकायत पर जब कलेक्टर व एसपी से की गई तो छात्राओं और अधिक्षिका को धमकाकर चुप करा दिया गया. इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की. मानवाधिकार आयोग ने इसे संज्ञान में लेते हुए एक टीम बनाई जो अब जांच करेगी.
पालनार बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा का एक गांव है. जहां के आश्रम में पांच सौ आदिवासी लड़कियां पढती है. इस आश्रम में 31 जुलाई को स्कूल की लड़कियों द्वारा सीआरपीएफ सिपाहियों को राखी बांधने का कार्यक्रम था. इस दिन सीआरपीएफ के करीब सौ सिपाहियों को लड़कियों द्वारा राखियां बांधी गई. अधिकारियों के आदेश पर इस कार्यक्रम का वीडियो बनाया गया. स्कूल में वीडियो बनाने का यह यह कार्यक्रम काफी देर तक चलता रहा.
कार्यक्रम के बीच में कुछ लड़कियां पेशाब करने के लिए शौचालय की तरफ गयीं. जहां पांच-छह सीआरपीएफ के सिपाही भी चुपचाप लड़कियों के पीछे चले गए और उनके शौचालय के बाहर खड़े हो गए. जब लड़कियों ने इसका विरोध किया तो सीआरपीएफ के सिपाहियों ने कहा कि वे छात्राओं की तलाशी लेने आए हैं. जवानों ने तलाशी के नाम पर तीन लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें की. आरोप के मुताबिक सिपाही यहीं नहीं रुके बल्कि तीन आरोपी शौचालय में घुस गए और करीब पन्द्रह मिनट तक आदिवासी लड़की के साथ भीतर रहे.
इसके बाद लडकियां चली गयीं और सीआरपीएफ वाले अपने दल में शामिल हो गए. लड़कियों ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में रात को अपनी वार्डन द्रौपदी सिन्हा को बताई. वार्डेन ने यह खबर एसपी और कलेक्टर तक पहुँचा दी. अगले दिन कलेक्टर और एसपी पालनार पहुंचे. वहां दोनों अधिकारियों ने सीआरपीएफ कैम्प में पीड़ित लड़कियों को बुलवाया. आरोप है कि यहां वहाँ कलेक्टर और एसपी दोनों ने पीड़ित लड़कियों और वार्डन को बुरी तरह धमकाया और किसी को इस घटना के बारे में बताने से मना कर दिया. लेकिन तब तक खबर पूरे पालनार गाँव में फैल चुकी थी.
ममता शर्मा का कहना है कि कानूनन लड़कियों के हास्टल के भीतर सीआरपीएफ के सिपाहियों का जाना गलत था. लड़कियों ने जब अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की शिकायत की तो कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को उस शिकायत की जाँच करनी चाहिए थी. लेकिन कलेक्टर और एसपी ने मामले को दबाया और पीड़ितों को धमकाया. ममता शर्मा का कहना है कि इस तरह एसपी कमलोचन कश्यपऔर कलेक्टर स्वरूप कुमार साव भी इस यौन अपराध के सह आरोपी हैं.
ममता शर्मा का कहना है नाबालिगों के साथ यौन अपराध की यह घटना पोक्सो एक्ट में आती है. इस एक्ट के तहत रिपोर्ट ना लिखने वाले अधिकारी को जेल में डालने का प्रावधान है.