रायपुर। कोरोना काल में अजीत जोगी ने दो-दो घंटे सुबह-शाम लिखकर अपनी आत्मकथा पूरी की. 8 मई को उनके साथ थी. तीन दिन पहले ही उन्होंने अपनी आत्मकथा पूरी की थी. ‘सपनों का सौदागर’ उसका नाम होगा. यह बात रेणु जोगी ने सदन में अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कही. उन्होंने कहा कि किताब का नाम रखने में सदन ने मदद की. एकाध महीने में पेश करूंगी.

विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक हुईं रेणु जोगी ने रुंधे गले से कहा कि वे सच में सपनों के सौदागर थे. रात में नहीं, दिन में भी सपने देखते थे, उसे बुनते थे, और उसे पूरे करने का काम करते थे. उन्होंने जोगी की गौरेला को जिला बनाने की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताते हुए कहा कि गुरूदक्षिणा देने के लिए आपको धन्यवाद.

विधानसभा में दिन का कामकाज खत्म होने के बाद बाहर मीडिया से चर्चा में रेणु जोगी ने कहा कि 22 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के समय अजीत जोगी 15 दिन बिलासपुर में रहे, उसके बाद 5 मई के आसपास रायपुर आ गए थे. इन्होंने मुझे बताया कि वे जो आत्मकथा लिख रहे थे, 2 घंटे सुबह 2 घंटे शाम… वह पूरी हो गई है. लगभग साढे 400 पेज की, और उसके अतिरिक्त वह जैसे-जैसे याद आ रहा है कुछ संस्मरण भी उन्होंने इकट्ठे लिखवाए थे, तो मैं उसे यथास्थान पर जमा दूं.

श्रीमती जोगी ने बताया कि जिस दिन यह घटना घटी (हार्ट अटैक की) उसके 1 दिन पहले रात 11 बजे मैं उनके साथ भोजन पर थी, मैंने कहा कि आपने पुस्तक का शीर्षक मुझे नहीं बताया है क्या शीर्षक रखेंगे? मैंने भी अपनी तरफ से एक, दो नाम शीर्षक के बताए तो उन्होंने कहा कि मैंने कई लोगों को कहा है कि आप शीर्षक सोच कर बताइएगा और वह मौका ही नहीं आया. आज जब हमारे विधायक साथी अपने संस्मरण याद कर रहे थे, विभिन्न घटनाओं का स्मरण कर रहे थे तो उन्होंने कई बार जोगी जी को सपनों का सौदागर कहा. तब मुझे अचानक लगा कि शीर्षक मुझे मिल गया है और इनके किताब का नाम ‘सपनों का सौदागर’ ही रखूंगी.

रेणु जोगी ने कहा कि मैं विधानसभा में एक शायरी कहना चाहती थी. जोगी जी भोपाल में रहे, तब इनके प्रिय शायर जावेद अख्तर थे, इंदौर में जब रहे तो राहत इंदौरी वहां के थे, और जब वह और नौजवान थे तो इनको मजरुह सुल्तानपुरी पसंद थे. जो आत्मकथा इन्होंने लिखी है उस हिसाब से कहा जा सकता है कि बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, आप ही सो गए दास्तान कहते कहते.