रायपुर- आदिवासियों की जमीन अवैध तरीके से खरीदने के मामले में कोयला खनन का काम कर रही अडानी कंपनी पर राज्य सरकार शिकंजा कस सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर शासन की ओर से बनाई गई कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह माना है कि अडानी ने अवैधानिक तरीके से आदिवासियों से जमीन की खरीदी की है. कमेटी ने यह स्पष्ट किया है कि वन अधिकार की भूमि को बगैर अधिग्रहण खनन के लिए ले लिया गया. कमेटी ने अग्रिम कार्रवाई के लिए सरगुजा कलेक्टर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
गौरतलब है कि उदयपुर तहसील के घाटबर्रा गांव के 32 आदिवासी किसानों की वन अधिकार पत्र के तहत मिली जमीनों को नोटरी के माध्यम से खरीद लिया गया था. अडानी ने आदिवासियों को चेक के जरिए भुगतान किया था. जबकि साल 2013 के कानून के तहत वन अधिकार पत्रक धारक ही वास्तविक भू स्वामी माना गया है, लिहाजा उनकी भूमि बगैर अधिग्रहण खनन के लिए नहीं लिया जा सकता.
एसडीएम, एसडीओ और असिस्टेंड कमिश्नर की संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को घाटबर्रा स्थित 1898 हेक्टेयर वन भूमि गैर वानिकी कार्य के लिए सशर्त दी गई है. अडानी ने जिन 32 वन अधिकार पत्रक धारकों से जमीनें ली, वह जमीन भी इस क्षेत्र में आती हैं.
छत्तीसगढ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा है कि ऐतिहासिक अन्याय को खत्म करने के लिए ही वन अधिकार कानून बनाया गया था. अडानी जैसी कंपनी को कानून पर विश्वास नहीं है, इसलिए प्रावधानों को बायपास करने में भरोसा रखती हैं. सरकार को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. शुक्ला ने कहा कि इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि छत्तीसगढ़ में अन्य दूसरी जगहों पर ऐसे मामलें तो नहीं है.
इस मामले में लल्लूराम डाट काम ने अग्रिम कार्रवाई को लेकर सरगुजा कलेक्टर संजीव झा से फोन पर बात करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.