रायपुर- कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की है. इस वर्चुअल बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पं.बंगाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी शामिल थे. बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि JEE-NEET की परीक्षा टालने की मांग को लेकर एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट जाया जाएगा. इधर जीएसटी समेत तमाम मुद्दों पर मुख्यमंत्रियों के बीच रायशुमारी हुई है.

बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुंडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायण सामी और पं.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी शामिल थी. इस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्राइवेटाइजेशन किए जाने का मामला उठाते हुए कहा कि- पूरे देश में प्राइवेटाइजेशन की स्थिति है. चाहे एय़रपोर्ट हो, रेल हो, सेल हो. जितनी भी इंडस्ट्री है, उसका निजीकरण हो रहा है. सरकार ने जो सार्वजनिक उपक्रम बनाए हैं, उसे बेचने की कोशिश हो रही है. इंडिया अगेंस्ट प्राइवेटाइजेशन की लड़ाई लड़नी होगी.
भूपेश बघेल ने कहा कि केरल से लेकर जम्मू तक के सार्वजनिक उपक्रम बेचे जा रहे हैं. राज्यों के लिए लोग चुपचाप बैठ नहीं सकते. सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी. जब बाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब बाल्को को बेच दिया गया. नगरनार में जो स्टील प्लांट बन रहा है, उसे बेचने की तैयारी है. हमने पत्र लिखा है कि निजी हाथों में न बेचा जाए. लेकिन यदि यह बेचा जाता है, इंडिया अगेंस्ट प्राइवेटाइजेशन की मुहिम को बढ़ाना चाहिए. लड़ना चाहिए. भूपेश बघेल ने जीएसटी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हम उत्पादक राज्य है. 2022 तक हमें कंपनसेशन देने की बात कही गई थी, लेकिन बीते चार महीने से एक पैसा भी केंद्र ने नहीं दिया है, जबकि आवश्यकता इस बात की है कि 2022 से बढ़ाकर 2027 तक किया जाना चाहिए. इस प्रकार का प्रस्ताव उत्पादक राज्यों की ओर से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी हमें 2828 करोड़ रूपए मिलना था, यह नहीं मिला है. इसकी वजह से स्थिति भयावह होती जा रही है. कल केंद्रीय वित्त मंत्री बैठक ले रहे हैं, लेकिन एजेंडा कुछ भी नहीं है. कहा जा रहा है ब्रेन स्टार्मिंग किया जाएगा. जो खबरे छनकर आ रही है वह डरावना है, यदि कंपनसेशन की राशि नहीं दी जाती है, तो उत्पादक राज्यों की स्थिति बेहद खराब हो जाएगी.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पर्यावरण के संबंध में देश में जो नीति बन रही है, वह भयावह है. उन्होंने कहा कि मुझे एक घटना याद आ रही है कि जमुना किनारे एक मंदिर बना था, वह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था, कोर्ट ने कहा था कि कानून के हिसाब से गलत है, लेकिन सैकड़ों करोड़ रूपए खर्च हो गए. इसलिए इसे तोड़ना क्षति होगी.  इस तरह की ही बात आ सकती है. बघेल ने कहा पेसा कानून, पर्यावरण कानून जैसे कानून बने हैं, इनका पालन किए बगैर उद्योग लग जाए और लगने के बाद हम न्यायालय भी जाएंगे,तब कोर्ट कहेगा कि सैकड़ों करोड़ रूपए लग गया है, इसे हटाये जाने से राष्ट्रीय क्षति होगी, ऐसे में यह कानून पूरी तरह से गलत है. हमें एकजुट होकर ईआईए ड्राफ्ट का विरोध करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने मंडी को लेकर लाई गई केंद्रीय नीति का खुलकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था.इस नीति से राज्यों को मंडी शुल्क वसूलने का अधिकार छिन लिया जाएगा, इससे राज्यों को राजस्व की क्षति होगी. छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी कृषक मार्जिनल फार्मर है, जो दूसरे राज्यों में बेचने जाएंगे ही नहीं, इस नीति का लाभ व्यापारियों, बिचौलियों को होगा, छोटे किसानों को नहीं मिलेगा. इसे वापस लिया जाना चाहिए. भूपेश बघेल ने नई शिक्षा नीति की खुलकर मुखालफत की. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चाहे राष्ट्रपति के पास जाना हो, प्रधानमंत्री के पास जाना हो या फिर कोर्ट जाना हो, हम साथ हैं. नई शिक्षा नीति राज्यों के लिए घातक है. नई नीति में कक्षा एक से पांच तक प्राइमरी की कक्षाएं थी. इसमें आंगनबाड़ी को जोड़ दिया जाएगा, तो इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा होगा. राज्य में तीस हजार आंगनबाड़ी है, उसके शिक्षकों की भर्ती कैसे होगी. आदिवासी अंचल दूर दराज में है. ड्राप आउट की संख्या बढ़ेगी. यह नीति भ्रामक है. हम प्रदेश के बारे में कुछ जोड़ना चाहते हैं, तो जोड़ नहीं पाएंगे. इस नीति का विरोध करना चाहिए. यदि कोई आर्ट्स विषय़ ले तो उसे वहीं डिग्री मिलती है. नई नीति में कोई भी विषय लिया जा सकेगा. छत्तीसगढ़ में सुदूर अंचलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की भारी कमी है. शिक्षकों की भर्ती करना बेहद खर्चीला होगा. वित्तीय व्यवस्था कैसे होगी यह केंद्र ने नहीं बताया. है.
भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले दिनों कोल मिनिस्टर आए थे. हमारे राज्य में कोयला खदान है, लेकिन हमारे पास ही खदान नहीं है. हमारी ही खदान को हमी खरीदी, यह अजीब बात है. पूरे जंगलों को उजाड़कर ऐसा किया जाएगा. वह कहते हैं कि 50 सालों में कोयला रिलवेंट नहीं रह जाएगा. राकेट के युग में आ गए हैं, लेकिन बैल गाड़ी समाप्त नहीं हुआ. पावर के लिए हम दूसरे क्षेत्र में जा सकते हैं. कोयला की महत्ता बनी रहेगी. इस दिशा में लड़ाई लड़नी पड़ेगी. मुख्यमंत्री ने एजेंसियों के दुरूपयोग का जिक्र छेड़ते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक मूल्यों को लेकर सभी चिंता जाहिर कर रहे हैं. आईटी, सीबीआई, ईडी का दुरूपयोग प्रदेशों के मुख्यमंत्री महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत को मैं बधाई दूंगा कि वह लड़ाई लड़े भी और सफल भी हुए. मैं उन्हें, उनकी सूझबूझ को बधाई देता हूं. अवैधानिक कृत्य को रोकने में अशोक गहलोत को सफलता मिली. बघेल ने कहा कि फेडरल स्ट्रक्चर को बनाए रखने के लिए हम सबको काम करना चाहिए. इंदिरा जी के समय में जो बैंक आम जनता के लिए खोला गया था, वह अब डकैती का अड्डा बन रहा है. बैंक केवल बड़े लोगों के लिए ही रह जाएगा. आर्थिक मुद्दों की ओर से ध्यान हटाने की पुरजोर कोशिश वर्तमान सरकार कर रही है. एससी, एसटी, छोटे व्यापरियों हर वर्ग के लिए हम सबको राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाने चाहिए.

देश का विपक्ष मजबूत नहीं हो पा रहा- हेमंत सोरेन

बैठक के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि देश का विपक्ष मजबूत नहीं हो पा रहा है. सत्ताधारी दल विपक्ष का इस्तेमाल कर रहा है. मुझे यह महसूस होता है कि युवाओं में इन दिनों बहुत ज्यादा आक्रोश है. देश की वास्तविक स्थिति अच्छी नहीं है. विपक्ष की आवाज बहुत कमजोर महसूस हो रही है. ये लोग आए दिन कभी विभिन्न मुद्दों पर सरकारों को परेशान करने में लगे रहते हैं. हम सब इनके इस मुद्दे पर ही भटक जाते हैं. हमे  पाॅलिटिक्ल इशू को हिट करने की जरूरत है. उन्होंने गलतियां बहुत कर रखी है. सोरेन ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के नाम पर प्राॅफिट कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन कर रहे हैं. रेलवे, भेल, एनटीपीसी, सब कुछ बेचने की तैयारी कर रहे हैं. रिजर्व बैंक से सरकार इतना पैसा निकालती है आखिर होता क्या है. कोई इंडस्ट्री चल नहीं रही, तो कैसे सेंसेक्स बढ़ रहा है. यह कैसे संभव है. कौन अर्थशास्त्री ऐसा गणित देता है.  देश की स्थिति के बारे में कुछ पता ही नहीं चलता है.
जीएसटी को लेकर हेमंत सोरेन ने कहा कि जब से जीएसटी शुरू हुआ है राज्य की रीढ़ की हड्डी निकाल ली गई है. केंद्र तय करता है राज्य को कितना देना है, कितना नहीं देना है. फेवरेबल स्टेट को ज्यादा राशि दी जाती है, अन्य राज्यों को छोड़ दिया जाता है. राज्यों के पास न वेंटिलेटर उपलब्ध है, ना बेड उपलब्ध है. ज्वाइंटली प्रोग्राम बनाना चाहिए. मैं इस पक्ष में हूं. उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड आयल की कीमत घटी हुई है, इसके बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती क्यों नहीं की जा रही है. इसके पीछे क्या एजेंडा है. किसका बैलेंट शीट ठीक करने की कोशिश की जा रही है. नमामि गंगे का सफाई अभियान जो चला, उसे अडानी ग्रुप ने ही किया. यह तो कोई पता नहीं कर पाएगा कि साढ़े छह, सात हजार करोड़ रूपए कहां गए.

हमे फैसला करना है कि केंद्र से डरना है या लड़ना है- उद्धव ठाकरे

बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमें फैसला करना होगा कि डरना है या लड़ना है? गैर बीजेपी दलों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने कहा, हमें फैसला करना चाहिए कि हमें केंद्र सरकार से डरना है या लड़ना है. ठाकरे ने कहा, गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठानी चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार हमारी आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है.

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र संघवाद के ढ़ांचे को कुचल रहा है. उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के खिलाफ हमें साथ मिलकर काम करना होगा और लड़ना होगा.