रायपुर-आर्थिक चुनौतियों से जूझती छत्तीसगढ़ सरकार को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था, जब कोरोना कहर बनकर टूटा. लाॅकडाउन की वजह से चौतरफा बंद ने राज्य के राजस्व पर बुरा असर डाला, नतीजा भूपेश सरकार ने बजट में एक तिहाई यानी 30 फीसदी कटौती किए जाने का फैसला लिया था. अब जब छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार ने तीन हजार आठ सौ करोड़ रूपए से अधिक का अनुपूरक बजट पारित कराया है, तो विपक्ष आर्थिक प्रबंधन पर सवाल उठा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने एक के बाद एक किए गए कई ट्वीट के जरिए सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार के पास मुख्य बजट में किए गए प्रावधानों को खर्च करने के संसाधन नहीं हैं तो फिर 3800 करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट क्यों लाया यह समझ से परे है. इस सरकार के कुप्रबंधन से मुख्य बजट में सरकार की पहले अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर में थी,अब अनुपूरक बजट में कोमा में चली गई है. रमन सिंह ने कहा कि 2003 में पुरानी सरकार 5000 करोड़ का कर्ज छोड़कर गई थी. प्रदेश की अधोसंरचना विकास के लिए हमने 15 साल में 36000 करोड़ का कर्ज लिया जो औसतन 2400 करोड़ प्रति साल होता है. भूपेश सरकार ने 18 महीनों में ही 24000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले लिया. यह आर्थिक प्रबंधन है तो कुप्रबंधन क्या है?
रमन सिंह ने कहा कि हमारी सरकार के वित्तीय प्रबंधन को RBI से लेकर देश की नामी वित्तीय संस्थाओं ने सराहा था. उस समय छग वित्तीय सुप्रबंधन में देश में अव्वल रहा, लेकिन मौजूदा सरकार वित्तीय कुप्रबंधन के नए आयाम गढ़ रही है. कांग्रेस ने “गढ़ने” का वादा कर छत्तीसगढ़ को कर्ज में “डुबा” दिया. सरकार ने किसानों को धान का ₹2500 समर्थन मूल्य देने का वादा किया था लेकिन अब हजारों करोड़ का कर्ज लेने के बाद भी किश्तों में पैसे दे रही है, यह सरासर अन्याय है. अनुपूरक बजट में भी समर्थन मूल्य देने के लिए सिर्फ 300 करोड़ की राशि रखी है, बाकी पैसा सरकार कहां से लाकर देगी?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भूपेश सरकार में युवाओं का भविष्य अंधकार में है. 14580 शिक्षकों की नियुक्ति रुकी हुई है, बेरोजगार युवा और विद्या मितानिन हड़ताल कर रही हैं. नियुक्ति व बेरोजगारी भत्ते को लेकर अनुपूरक बजट में कोई प्रावधान नहीं है. इसी उपेक्षा के कारण युवा हरदेव की तरह आत्महत्या करने को मजबूर हैं!
जानिए आखिर रमन ने अऩुपूरक बजट पारित होने के एक दिन बाद आखिर क्यों ट्वीट कर बोला सरकार पर हमला
विधानसभा में गुरूवार को अनुपूरक बजट पर भाषण देने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेहद ही आक्रामक अंदाज में बीजेपी पर हमला बोला था. उन्होंने तत्कालीन रमन सरकार में लिए गए कर्ज और किसानों से की गई वादाखिलाफी का जिक्र करते हुए विपक्ष के उठाए तमाम सवालों पर जवाब देते हुए कहा था कि –
जब हम 2003 में सरकार से गए थे, तब खजाने में 400 करोड़ रूपए छोड़कर गए थे. रमन सिंह सरकार को हमने 400 करोड़ रूपए दिए थे. 15 साल सरकार में रहने के बाद 41 हजार करोड़ रूपए का कर्जा लाद दिया. आपने कहा था कि 2100 रूपए में धान खरीदी होगी, पांच साल नहीं खरीदे. आप हमसे सवाल कर रहे हैं. 300 रूपए बोनस देने की बात भी की थी, लेकिन नहीं दिया गया. विपरीत परिस्थितियों में भी हम किसानों की अर्थव्यवस्था बिगड़ने नहीं दिया. कर्ज लेना पड़ेगा, हम कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को मरने नहीं देंगे. फांसी चढ़ने नहीं देंगे. आपने कर्ज लिया था नई राजधानी बनाने के लिए, स्काई वाक बनाने के लिए. आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़के हो सकती हैं, बिल्डिंग हो सकती है, लेकिन हमारी नजर में किसान हैं. आदिवासी हैं, महिलाएं हैं.