सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। कोरोना काल में सुरक्षा व्यवस्था के बगैर काम कराए जाने का आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं सहायक शिक्षकों ने विरोध किया है. कर्मचारियों ने बताया कि सरकार ने ऑक्सीमीटर के माध्यम से घर-घर सर्वे करने को कहा गया है, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किये गए हैं. हम लोगों ने काम नहीं करने का विरोध किया तो हमें कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई. लगातार काम का दबाव बनाया जा रहा है. आरोपी लगाया कि हमें खराब क्वालिटी का मास्क दिया जा रहा है. सेनिटाइजर भी उपलब्ध नहीं कराई गई. सर्वे के लिए दूर-दूर तक भेजा गया है, लेकिन वाहन खर्च भी नहीं दिया गया.

आंगनबाड़ी जुझारू कार्यकर्ता संघ की प्रांताध्यक्ष पदमा साहू ने बताया कि हम लगातार मांग कर रहे हैं कि हम तीन बार सर्वे कर चुके हैं अब हमें ऑक्सीमीटर दिया जा रहा है, हमें ऑक्सीमीटर को सबकी उंगलियों में लगाना है और उनका पल्स और ऑक्सीजन चेक करना है, जिससे हमारे संक्रमित होने की आशंका है. हम काम करने से मना नहीं कर रहे लेकिन हमारे सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. हमारी मांगें है कि हमारा बीमा किया जाए. काफी लोग कम वेतन में काम कर रहे तो उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए.

शिक्षिका पुष्पा राजपूत ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और पूरी टीचर स्टाफ यहां मौजूद है और इसमें हमे ऑक्सीमीटर देकर घर-घर हमें पल्स रेट और ऑक्सीजन चेक करने के लिए कहा जा रहा है. हमारी मांग है कि स्वास्थ्य विभाग को यहां लगाया जाना चाहिए या किसी डॉक्टर की टीम को लगाया जाना चाहिए यह एक शिक्षक के लिए संभव काम नहीं है, जो अधिकारी हैं वह हम पर दबाव डाल रहे हैं कि काम नहीं करोगे तो आप पर कार्रवाई होगी. हमारी मांग है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस काम मे लगाया जाए या हमारा बीमा कराया जाए, तब हम काम करने के लिए तैयार है. यदि हमें कुछ होता है तो हमारी जिम्मेदारी कौन लेगा. कई लोग ड्यूटी के दौरान संक्रमित हो चुके हैं.

शिक्षिका सुनीता शर्मा ने बताया कि हम शिक्षकों को डबल काम करना पड़ रहा है. हम डोर टू डोर सर्वे कर रहे हैं, औऱ ऑनलाइन क्लास के लिए भी हम पर दबाव है. टीचर के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी बन रही है अपने घर-परिवार को देखना, स्कूल को देखना औऱ नागरिकों को भी देखना है तो हमारी सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है. यदि हम संक्रमित होंगे तो हमें तुरंत ये बात पता नहीं चलेगी हम किसी भी व्यक्ति के घर जाते है तो हमसे दूसरों को भी संक्रमण हो सकता है. सुरक्षा की व्यवस्था की बात करें तो पर्याप्त मात्रा में न तो सेनिटाइजर दिया जाता है ना मास्क, मास्क दिया भी जाता है तो वो भी घटिया क्वालिटी का होता है.

आंगनबाड़ी सहायिका प्रीति का कहना है कि मुझे अकेले ही सर्वे करने के लिए लगा दिया गया है. मेरा पेमेंट सिर्फ 3000 रुपए है. आने जाने का खर्च भी मैं स्वयं वहन करती हूं, जिससे मेरे पास कुछ नहीं बचता है आने-जाने का खर्च भी नहीं दिया जाता है.