नई दिल्ली- देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है. 84 साल की उम्र में उन्होंने आज अंतिम सांस ली. वह पिछले कई दिनों से डीप कोमा में थे. भारत रत्न से सम्मानित 84 वर्षीय प्रणब मुखर्जी को मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के कारण 10 अगस्त आर्मी अस्पताल में भर्ती किया गया था. उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है.
ऑपरेशन से पहले हुई जांच में उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया. इसके बाद ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी हालत पर नजर रख रही थी.
साल 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति बने थे. हालांकि, इस पद के लिए यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी की पहली पसंद हामिद अंसारी थे, लेकिन कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की पसंद मुखर्जी थे. इससे यह भी पता चला था कि राजनीतिक विभेद के बावजूद प्रणब मुखर्जी की स्वीकार्यता सभी राजनीतिक दलों में थी. यूपीए और कांग्रेस में प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार थे. उन्हें ‘पीएम इन वेटिंग’ भी कहा जाता था, लेकिन उनकी किस्मत में सात रेसकोर्स रोड नहीं बल्कि राष्ट्रपति भवन का पता लिखा था.
अपनी जीवनयात्रा पर लिखी पुस्तक ‘द कोलिशन ईयर्स – 1996-2012’ में उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. बतौर राष्ट्रपति उन्होंने यूपीए को सत्ता से बेदखल होते और भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते हुए देखा. कई मौकों पर वे मोदी सरकार की तारीफ करने से भी पीछे नहीं हटे. प्रधानमंत्री मोदी भी चाहते थे कि प्रणब दा बतौर राष्ट्रपति दूसरा कार्यकाल भी स्वीकार करें, लेकिन उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रणब मुखर्जी ने इसे अस्वीकार कर दिया था.