हेमंत शर्मा,रायपुर। देश आज भले ही तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन ऑनलाइन संसाधन आसान होने से साइबर क्राइम भी चरम पर है. क्योंकि बदलते समय और ऑनलाइन बैंकिग संसाधनों के बीच खाताधारकों की राह आसान होने का फायदा साइबर ठग उठाते हैं. ऑनलाइन साइबर अपराध का शिकार सबसे ज्यादा युवा और पढ़े-लिखे लोग हो रहे हैं. ठग कभी केवाइसी अपडेट करने के नाम पर, तो कभी ऑफर देकर अपने झासे में लेते हैं. पुलिस भले ही जागरूकता अभियान चलाती है, लेकिन इसका असर एडवांस युवाओं में ज्यादा दिखता नहीं है. आज स्थिति यह हो गई कि घर बैठे अपराधी ऑनलाइन अपराधों को सहज तरीके से अंजाम दे रहे है. यदि आपने जामताड़ा वेब सीरीज देखी होगी, तो साइबर अपराध से भलिभांति परिचित होंगे.
2 महीने में 92 साइबर अपराध
बात करें छत्तीसगढ़ की राजधानी की, तो रायपुर लॉकडाउन के दौरान साइबर अपराध का एक गढ़ बनकर उभरा है. यहां पिछले 2 महीने में ऑनलाइन ठगी के 92 केस सामने आए हैं. यह संख्या बताने को काफी है कि क्राइम मास्टरों ने राजधानी को अपना नया अड्डा चुन लिया है. जब किसी राज्य में लोग आसानी से बेवकूफ बनने लगते हैं, तो इन्हीं इलाकों में ये अगला शिकार ढूंढने लगते हैं. यही वजह है कि दिनों-दिन रायपुर में ऑनलाइन अपराध के आंकड़े भी तेजी से बढ़ने लगे हैं.
80% पढ़े-लिखे लोग हुए शिकार
इन दो महीने में हुए 92 केसों में एटीएम फ्रॉड, ओएलएक्स फ्रॉड, पेटीएम से रिलेटेड फ्रॉड समेत कई तरह के सायबर फ्रॉड के केस शामिल है. दिलचस्प बात ये है कि जितने लोगों के साथ ठगी हुई है उसमें 80 प्रतिशत लोग पढ़े लिखे है. क्योंकि ये लोग ज्यादा सोशल साइड्स का उपयोग करते हैं और किसी न किसी तरह से ठग उन्हें अपने झासे में ले लेता है. ऐसे लोगों को गूगल से नंबर निकालकर कॉल किया जाता है और ठगी करते हैं. इसके अलावा लोन लेने के नाम पर, पेटीएम अपडेट कराने के नाम पर ओटीपी नंबर लेकर और हर बार नए-नए तरीके से अपराधी ठगी करते हैं. आज अधिकतर लोग ऑनलाइन पेमेंट करते हैं. इसलिए अपराध भी पढ़ा है. दो महीने में साइबर ठगों ने 6 लाख 13 हजार रूपए की ठगी की है. जिसमें से पुलिस ने 18 मामले में 2 लाख 81 हजार से अधिक की रकम रिफंड भी करवाया है.
जल्द दूसरे राज्यों में जाएगी टीम
क्राइम एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण पुलिस की टीम दूसरे राज्यों में नहीं जा पा रही है. जैसे-जैसे स्थिति सामान्य हो रही है, टीम भी बाहर भेजना शुरु कर रहे हैं. बहुत जल्द अलग-अलग राज्यों में टीम भेजकर आरोपियों की शिनाख्त कर गिरफ्तारी की जाएगी. माहेश्वरी आगे बताते हैं कि साइबर क्राइम को लेकर लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है. जिससे वो किसी के साथ भी अपना पर्सनल इन्फॉर्मेशन शेयर न करें. क्योंकि जैसे ही ऑप गोपनीय जानकारी सामने वाले व्यक्ति को साझा करते हैं, वो आपके खाते से पैसे निकाल लेता है.
साल भर से पेंडिंग पड़े हैं मामले
एसएसपी अजय यादव कहते हैं कि साइबर क्राइम की जिनती भी शिकायतें थाने में लंबित है उसकी समीक्षा करने के लिए सभी सीएसपी को निर्देश दिए गए हैं. थाने में आईं सभी शिकायतें भी सहीं पाई गई है. उन्होंने कहा कि ठगी चाहे एक रुपए की ही क्यों न हो उसमें पहले मुकदमा दर्ज करें. अभी कई केसेस मैंने देखा है कि साल भर से पेंडिंग पड़े हुए है. जिसमें लोगों ने केस रजिस्टर्ड नहीं किया है. केस रजिस्टर्ड करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
इन शहरों में बैठें हैं ठग गैंग
एसएसपी ने आगे बताया कि कई अपराधों में यह पाया गया है कि एक ही लोकेशन से इसे ऑपरेट किया जा रहा है. ऐसे तीन-चार लोकेशन मिले है. जहां से ज्यादा ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. झारखंड का जामताड़ा एरिया, वेस्ट बंगाल के कुछ हिस्से और राजस्थान के कुछ एरिया नए हब के रूप में डेवलप होते दिख रहे हैं. इसलिए यह तय किया गया है कि इन जगहों पर पुलिस की टीम भेजी जाएगी. हमने कुछ केस आइडेंटिफाई भी किया है.
बिलासपुर में ‘साइबर मितान’ अभियान
बिलासपुर जिले में भी लगातार बढ़ रहे साइबर मामलों ने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है. इसके लिए 1 सितंबर से 8 सितंबर तक ‘साइबर मितान’ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें पुलिस ने डोर टू डोर अभियान के तहत गांव से लेकर वार्डों में लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है.
ठगी से बचने जागरूकता जरूरी
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल कहते हैं कि हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस अभियान के जरिए जागरूक करना है. जिससे लोग ठगी का शिकार न हो, क्योंकि ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए जागरूकता ही एक मात्र उपाय है. जिले भर में ज्यादा से ज्यादा गांव, कस्बों, वार्डों तक इस अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए जिले के सभी थाना प्रभारी सहित पुलिस कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिग दी गई है कि वो कैसे इस साइबर अपराध से लोगों जागरूक कर सकते हैं. जिले के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है और हम इसका निर्वाहन कर रहे हैं.
कैसे बचे साइबर अपराध से ?
साधारण सा गेम या एप भी डाउनलोड करते समय आप बिना पढे़ ही उसके नियम और शर्तो को मानते हुए बटन दबाते रहते है. यह गलत होता है. यहां तक कि वाट्सएप को भी हैक कर लिया जाता है. पलक झपकते ही आपके पैसे खाते से गायब हो सकता है. इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है. अगर किसी वेबसाइट पर कोई पॉपअप खुले और आपको कुछ आकर्षक गिफ्ट या इनाम ऑफर करे, तब आप अपनी पर्सनल जानकारी या बैंक अकाउंट नंबर या बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी न भरें. अगर आप किसी ऑफर का लाभ लेना चाहते हैं, तो आप सीधे रिटेलर के वेबसाइट, रीटेल आउटलेट या अन्य जायज साइट से संपर्क करें. अज्ञात व्यक्ति द्वारा फोन आने पर किसी भी प्रकार की ओटीपी और पर्सनल जानकारी साझा न करें. आज के दौर में इंटरनेट हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इंटरनेट पर जरा सी ना समझी स्कैमर्स को साइबर क्राइम के लिए खुला निमंत्रण देता है. अगर आप इन बातों को गौर करते हैं, तो आप साइबर क्राइम के शिकार होने से बच सकते हैं.
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