रायपुर- पीएमओ के यूट्यूब पेज पर कमेंट सेक्शन बंद किए जाने की हालिया सुर्खियों के बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से कमेंट सेक्शन बंद कर दिया है. उनके ट्वीट पर अब वही कमेंट कर सकेंगे, जिन्होंने उन्हें फाॅलो किया है. ट्विटर के कमेंट सेक्शन बंद दिए जाने के बाद रमन सिंह सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं. सरकार के प्रवक्ता और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने उन पर निशाना साधा है.
दरअसल बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने अपने ट्विटर एकाउंट पर राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी रेट कम होने के मामले में एक ट्वीट किया था. उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए कोरोना के बढ़ते मामलों को राज्य सरकार की बदइंतजामी करार दिया था. इस ट्वीट के कमेंट सेक्शन पर जाने पर यह बात पता चली कि इसे बंद कर दिया गया है. कमेंट सेक्शन पर यह संदेश सामने आया कि इस एकाउंट को फाॅलो करने वाले या मेंनशन्ड लोग ही कमेंट कर सकते हैं. हालांकि पूर्व में किए गए सभी ट्वीट पर कमेंट सेक्शन ओपन ही मिला.
इस मामले में सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि- मुझे लगता है कि डाॅक्टर रमन सिंह अपने खिलाफ लिखने वाले लोगों के कमेंट सुनना-देखना नहीं चाहते. वह नहीं चाहते कि विरोध की बातें उन तक पहुंचे, लोगों की इच्छाओं को जानने से वह बचना चाहते हैं. अपने मुंह मिया मिट्ठु वाली कहावत नजर आ रही है. वह अब बोलेंगे, तो उनके फाॅलोवर ही सुनेंगे. चौबे ने कहा कि सार्वजनिक मुद्दों पर की जाने वाली बातों में हर पक्ष को सुनना और देखना चाहिए.
ट्विटर अकाउंट पर रमन सिंह द्वारा जवाब देने का विकल्प बंद किए जाने पर कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा और रमन सिंह अब सिर्फ एक तरफा संवाद चाहते हैं विरोध से बचना चाहते हैं. अपने खिलाफ बोलने लिखने वालों की बातें नहीं सुनना और पढ़ना चाहते हैं यही तो तानाशाही प्रवृत्ति का जीता जागता सबूत है. किसी भी जननेता को ऐसा करने से बचना चाहिए मोदी तो बरसों से यही करते आ रहे हैं. हाल ही में मोदी की मन की बात को 10 लाख से अधिक डिसलाइक मिले और सिर्फ 2 लाख 17 हजार लोगों ने उसे पसंद किया. यह भाजपा की गलत नीतियों और मोदी और रमन सिंह जैसे नेताओं के प्रति जनता में बढ़ते विरोध का जीता जागता सबूत है. यह स्थिति तभी बनती है जब व्यक्ति को खुद यह एहसास हो जाता है कि वह फिजूल की बातें कर रहा है, उसकी बातें उसके तर्क जनविरोधी हो चुके हैं और जनता में उसकी कोई स्वीकार्यता नहीं बची है. वर्तमान में भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी और रमन सिंह जैसे नेताओं की यही स्थिति हो चुकी है.