रायपुर। खेती-किसानी की मांगों को लेकर कल 5 सितम्बर को किसान सभा देशव्यापी प्रदर्शन करेगी. इस दौरान किसान सभा केंद्र सरकार से कृषि विरोधी अध्यादेशों और पर्यावरण आंकलन मसौदे को वापस लेने, कोरोना संकट के मद्देनजर ग्रामीण गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और नगद राशि से मदद करने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, व्यावसायिक खनन के लिए प्रदेश के कोल ब्लॉकों की नीलामी और नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण रद्द करने, किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-2 लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने और उन्हें बैंकिंग तथा साहूकारी कर्ज़ के जंजाल से मुक्त करने, आदिवासियों और स्थानीय समुदायों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार देने के लिए पेसा कानून का क्रियान्वयन करने की मांग करेगी. ये प्रदर्शन कोविद-19 के प्रोटोकॉल और फिजिकल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए आयोजित किये जाएंगे.

यह जानकारी छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां दी. उन्होंने बताया कि इन प्रदर्शनों के जरिये राज्य की कांग्रेस सरकार से भी सभी किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद उपलब्ध कराने, बोधघाट परियोजना को वापस लेने, हसदेव क्षेत्र में किसानों की जमीन अवैध तरीके से हड़पने वाले अडानी की पर्यावरण स्वीकृति रद्द करने और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, पंजीकृत किसानों के धान के रकबे में कटौती बंद करने, सभी बीपीएल परिवारों को केंद्र द्वारा आबंटित प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज वितरित करने और वनाधिकार दावों की पावती देने और हर प्रवासी मजदूर को अलग मनरेगा कार्ड देकर रोजगार देने की मांग किसान सभा करेगी.

किसान सभा नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण देश आज एक गंभीर आर्थिक मंदी में फंस गया है. इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब मे पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो और उद्योग-धंधों को गति मिले. इसके साथ ही सार्वजनिक कल्याण के कामों में सरकारी निवेश किया जाए और राष्ट्रीय संपदा को बेचने की नीति को पलटा जाए. लेकिन इसके बजाय केंद्र सरकार इस आर्थिक संकट का बोझ आम जनता पर ही लाद रही है और आम जनता के सामने अपनी आजीविका और जिंदा रहने की समस्या पैदा हो गई है. इसलिए किसान सभा केंद्र सरकार से किसानों और प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी, उनकी आजीविका और लॉक डाऊन में उनको हुए नुकसान की भरपाई की मांग कर रही है. इन मांगों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किसान सभा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी जन प्रतिनिधियों को अपनी मांगों का ज्ञापन भी पूरे देश में सौंप रही है.

गौरतलब है कि किसान सभा द्वारा 11 सूत्रीय मांगों पर पूरे देश में एक लंबा अभियान चलाया जा रहा है. यह प्रदर्शन इसी अभियान का हिस्सा है. खेती-किसानी की समस्याओं को केंद्र में रखकर और कोरोना संकट में ग्रामीण गरीबों को राहत देने की मांग पर पूरे देश में ये प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे हैं.