सुदीप उपाध्याय, वाड्रफनगर। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड में अज्ञात गिरोह द्वारा सैकड़ों की संख्या में फर्जी वन अधिकार पट्टा बांट दिया गया. इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग ठगी के शिकार हुए हैं. राजस्व विभाग की अधिकारियों की माने तो जब यह पट्टा फर्जी पाया गया तो अज्ञात गिरोह के खिलाफ वाड्रफनगर चौकी में मामला दर्ज कराया गया. पुलिस ने अब तक तीन लोगों के खिलाफ धारा 420, 467,468,471, और 34 के तहत अपराध दर्ज किया है. बताया जा रहा है कि आदिवासियों तथा गैर अदिवासियों को अज्ञात गिरोह द्वारा गुमराह करके 4 से 5 हजार ले लिया, फिर फर्जी वन अधिकार पट्टा का वितरित कर दिया गया. इस ठग गिरोह के साथ सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का भी आरोप लगा है.

मामले को लेकर सर्व आदिवासी समाज वाड्रफनगर के अध्यक्ष बिहारी सिंह खैरवार ने कमिश्नर सरगुजा व कलेक्टर बलरामपुर, पुलिस अधीक्षक बलरामपुर एवं पुलिस अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने गुहार लगाई है. उन्होंने गरीब आदिवासियों की राशि वापस कराने की मांग की है. इसके साथ ही चेतावनी दी है कि यदि आदिवासियों के ऊपर अत्याचार शोषण बंद नहीं हुआ तो इसके लिए सर्व आदिवासी समाज आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

इस संबंध में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हरिहर प्रसाद यादव ने बताया कि किसी भी निर्दोष आदिवासी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होगी, जो भी आदिवासियों के पास साक्ष्य है उनके आधार पर कार्रवाई की जाए.

पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा से जब इस मामले में चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मामला आपके माध्यम से प्रकाश में आया है, निश्चित ही फर्जी पट्टा में संलिप्त लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए, वहीं निर्दोष आदिवासियों के साथ पुलिस सहानुभूतिपूर्वक कार्रवाई करे.

बता दें कि जारी वन अधिकार पत्र के हितग्राही अभी भी शासकीय भूमि पर काबिज हैं एवं इनके द्वारा ग्राम सभा में भी फॉर्म जमा किया गया है. जब हितग्राही उक्त वनाधिकार पत्र को पटवारी के पास लेकर गए तो उनसे मोटी रकम वसूल कर तहसीलदार के माध्यम से उनको ऋण पुस्तिका भी जारी करा दिया गया. हितग्राही काफी दिनों तक अपने घर में ऋण पुस्तिका को रखे रहे. लेकिन अचानक सभी हितग्राहियों का ऋण पुस्तिका तहसीलदार द्वारा मंगवाकर सभी को फर्जी घोषित करते हुए कुछ वन अधिकार ऋण पुस्तिका को खारिज कर दिया गया. अगर पट्टा फर्जी था तो वन अधिकार ऋण पुस्तिका जारी करने से पहले ध्यान क्यों नहीं दिया गया? अब मामला पुलिस के पास है, पुलिस जांच में लगी है.