रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना विस्फोट होने से सरकारी समेत निजी अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है. मरीजों को घर में आइसोलेट होना पड़ रहा है. बेड के अभाव में मरीजों की जान जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश के कुछ बड़े निजी अस्पतालों में ओडिशा के संबलपुर समेत अन्य जिलों के मरीजों का इलाज हो रहा है. वहां के कोरोना मरीज प्रदेश हॉस्पिटलों में इलाज करा रहे हैं. आम इंसान से लेकर धनाड्य उद्योगपति भी भर्ती हो गए हैं. जबिक राजधानी रायपुर के मरीजों को बेड नसीब नहीं हो रहा है. इलाज के अभाव में जान जा रही है. इस अव्यवस्था को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राजधानी के कुछ बड़े हास्पिटलों में 50 फीसदी मरीज बाहर से है. इसके जरिये अस्पतालों की मोटी कमाई हो रही है. साथ ही रायपुर के होटलों में भी 50 फीसदी मरीज बाहर से आकर ठहरे हुए हैं. असिमटमेटिक मरीज भी आकर ठहरे हुए हैं. ऐसा नहीं है कि ओडिशा में अच्छे हॉस्पिटल नहीं है, वहां भी सर्वसुविधा युक्त हास्पिटल है, फिर प्रदेश में उनका इलाज किया जा रहा है. जिससे राज्य के निजी अस्पतालों में सभी बेड फुल हो गए हैं. जिस कारण राजधानी के मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, निजी हॉस्पिटल 10 दिन में 4 से 5 लाख का बिल बना रहा है. मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कोरोना रिपोर्ट भी जानबूझकर देरी से दी जा रही है, ताकी बिल बढ़ाया जा सके. जिनकी मोटी बिल पटाने की हैसियत नहीं है, वे दर-दर भटक रहे हैं. मंत्री और नेताओं के अप्रोच से भी बेड नहीं मिल पा रहा है. प्रबंधन का दो टूक जवाब होता है कि अभी बेड खाली नहीं है.

दमी जुबान राजधानी में इस बात को लेकर आम जनों में भारी आक्रोश है. हालिया में एक वकील की हॉस्पिटल में बेड नहीं मिलने से मौत हो गई. बाद में जब दोबारा संपर्क किया गया तो उसे एक लाख रुपए एडंवास जमा करने कहा गया. उनके पास उस एक दौरान एक लाख रुपए नहीं थे. बाद में बेड नहीं मिलने से उस महिला की घर में ही बिना इलाज के मौत हो गई. प्रदेश में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.

कोरोना काल में लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. आर्थिक संकट की वजह से लोग कोरोना से लड़ नहीं पा रहे हैं. बड़े अस्पतालों को मोटी रकम अदा नहीं कर पा रहे हैं. जिससे घर में ही उनकी हालत खराब हो जा रही है. यहां तक मौत हो जा रही है.

कुछ बड़े अस्पतालों में यदि कोई मरीज जाता है तो पहले उससे एडवांस के रूप में एक लाख रुपए की मोटी रकम देनी पड़ती है. जो मध्यम वर्गीय परिवार के लिए मुश्किल है. इतनी रकम वो कहा से ला पाएगा. वहीं सरकार ने पिछले दिनों जो रेट तय किया है उसका भी कोई असर नहीं हो रहा है.

राजधानी का आलम ये है कि छोटे से लेकर बड़े हास्पिटल में कहीं भी बेड़ उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इस बिगड़ी हुई अव्यवस्था से राजधानी रायपुर के लोग आक्रोशित होते जा रहे हैं.