रायपुर- भू राजस्व संहिता में संशोधन को लेकर जनजातीय सलाहकार परिषद की बनाई गई एक कमेटी पर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी ने इसे आदिवासी विरोधी करार देते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी का आरोप है कि भूपेश सरकार आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की तैयारी कर रही है. आदिवासियों के दम पर बनी सरकार अब आदिवासियों को ही उनकी जमीन से वंचित करने का षडयंत्र रच रही. वहीं इधर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि तत्कालीन रमन सरकार जब यह कानून बदल रही थी, तब आदिवासी वर्ग को भरोसे में नहीं लिया गया था. कमेटी में आदिवासी जनप्रतिनिधि शामिल किए गए हैं, जो सभी तथ्यों पर विचार विमर्श कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे.
दरअसल पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ राज्य जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक रखी गई थी. इस बैठक में आदिवासियों की भूमि अंतरण के संबंध में नियमों में संशोधन करने के लिए परिषद की एक सब कमेटी के गठन को मंजूरी दी गई. पीसीसी चीफ और विधायक मोहन मरकाम को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. कमेटी आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने के नियमों का परीक्षण कर उसमें संशोधन किए जाने के प्रस्ताव के संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की बात करने वाली सरकार का यह असली चेहरा उजागर हुआ है. यह सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि भू राजस्व संहिता में किसी भी प्रकार का संशोधन आदिवासी हितों के विरुद्ध हुआ तो बीजेपी बर्दाश्त नहीं करेगी. बीजेपी ने सरकार ने वास्तविक स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. साय ने कहा कि जब से कांग्रेस की सरकार बनी है. भूमि की सुरक्षा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई हैं. प्रदेश में भू-माफिया का राज चल रहा है. सरकारी जमीनों की सरकार द्वारा खरीदी बिक्री कर बंदर बांट की जा रही हैं. भू-माफिया जमीनों पर कब्जा करने में लगे हुए हैं. पूरे प्रदेश में भय का वातावरण निर्मित किया जा रहा है. ऐसे समय में सरकार द्वारा भू-राजस्व संहिता में संसोधन का प्रस्ताव न सिर्फ चिंता का विषय है बल्कि डराने वाला भी है और कई आशंकाओं को जन्म देता है. आज आदिवासी समाज चिंतित है, भयभीत है कि कहीं उनकी जमीन गैर आदिवासी के हाथ में नहीं चली जाए. विष्णुदेव साय ने कहा कि भूपेश सरकार से ‘भू ‘ का बड़ा गहरा संबंध नजर आ रहा है. भूपेश सरकार में ‘भू ‘ अर्थात भूमि का खेल चल रहा है. कभी ‘भू ‘-माफिया, कभी सरकारी ‘भूमि’, कभी ‘भू ‘-राजस्व संहिता के नाम पर प्रदेश की भूमि को माफ़िया के हाथ सौंपने का यह षडयंत्र दिखता है. सवाल यह भी है कि भू राजस्व संहिता में संशोधन के जरिए सरकार 5 वीं अनुसूची की आत्मा का खात्मा तो नहीं करना चाह रही है?
पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बीजेपी सरकार में “सरकारी कार्य” हेतु आदिवासियों की ज़मीन उनकी सहमति के साथ लेने का प्रस्ताव लाया गया था. तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. खूब हल्ला मचाया गया. अब जब कांग्रेस सत्ता में काबिज हैं, तो अपना दोहरा चरित्र दिखा रही है. कश्यप ने सवाल उठाया कि आदिवासी विधायकों ने आखिर क्यों इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया? उन्होंने कहा कि वोट के लिए आदिवासियों के हित की राजनीति और सरकार बनने के बाद आदिवासी विरोध का यह चेहरा सामने आ गया है. यदि नियमों में सरकार बदलाव करेगी, तो इसका भारी विरोध झेलना होगा.
आदिवासी भावना के अनुरूप ही बनेगी रिपोर्ट – कांग्रेस
इधर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री केदार कश्यप के बयान पर पलटवार किया है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग की जमीनों की खरीदी बिक्री में विशेष प्रावधान किया गया है. इस वर्ग की ओर से ही मांग की जाती रही है कि प्रावधानों में संशोधन की जरूरत है. पिछली सरकार ने बगैर आदिवासी तबके को भरोसे में लिए इसमें संशोधन लाया था, जिसका विरोध किया गया था. उन्होंने कहा कि जनजातीय सलाहकार समिति की बैठक में नियमों में जरूरी संशोधन के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया है. यह उन तथ्यों में विचार करेगी कि क्या वाकई संशोधन की जरूरत है. क्या संशोधन आदिवासियों के लिए लाभकारी होगा. इन तमाम पहलूओं पर यह कमेटी रिपोर्ट देगी. कमेटी में आदिवासी वर्ग के लोगों को ही शामिल किया गया है. यह कमेटी आदिवासी भावनाओं के अनुरूप ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी और सरकार आगामी निर्णय़ लेगी.