दोस्तों,
प्रदेश में कोरोना की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. संकट की इस घड़ी में सरकार और सरकारी महकमा इस आपदा से निपटने में जुटा हुआ है,लेकिन आपदा से निपटना सिर्फ सरकार का ही काम नहीं है बल्कि समाज का भी काम है.दुनिया के सामने, समूची मानवता के सामने आ खड़े हुए अभूतपूर्व संकट की इस विकट घड़ी में हमें मिलजुलकर लड़ना होगा.
आज एक अवसर है जब हम समाज का कर्ज अदा करें. आज एक अवसर है जब हम मानवता की रक्षा में हर नागरिक के गरिमामय जीने के अधिकार के पक्ष में अपना भी योगदान दें. आज फिर हम यह महसूस करते हैं कि आपदाएं सरकार के लिए ही नहीं बल्कि समाज के हम जैसे हर नागरिक के लिए भी सेवा का और आपदाओं से पैदा चुनौतियों से मुकाबला करने का अवसर हैं. हमने प्रवासी श्रमिकों के कठिन सफर में थोड़ा किया,फिर हम थोड़ा और आगे बढ़े,लेकिन ये चुनौती ऐसी थी कि हमें फिजिकल डिस्टेनसिंग का भी पालन करना था.
ये एक ऐसी चुनौती थी जब दांव पर सारे मानवीय मूल्य थे. ये एक ऐसी चुनौती थी जो हमसे हमारी एक अनमोल विरासत- समाज की सेवा को भी छीन लेने पर आमादा थी. आखिर हम कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें?संकट में एक दूसरे के साथ खड़े होने की हमारी परंपरा है,स्वाभाविक मानवीय गुण है ,पर इस महामारी में संक्रमण के फैलने के खतरे ने हमें सेवा के परंपरागत तौर-तरीकों से रोके रखा. लेकिन हम सभी कुछ करने को बेचैन थे. हम जानते हैं कि अभी भी जिस से जो बन पड़ रहा है अपने आसपास ज़रूरतमंदों के लिए वो कर ही रहा है. लेकिन अब इतने दिनों में इस महामारी ने हमें बहुत सिखाया है.जीवनशैली बदली है तो जीवन संघर्ष के भी नए तौर तरीके हमने ढूंढे हैं.सेवा भी जीवन संघर्ष का एक रूप है.
हम यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि इस विपरीत समय में मदद के हाथ किस तरह आगे आ सकते हैं. हम यह समझ सके हैं कि हमें पूरे जतन के साथ सेवाभाव से कोरोना को हराने के लिए जुटना होगा,लेकिन इस बार बेहद सावधानी और अनुशासन के साथ. इस बार सेवा शासन द्वारा तय मापदंडों के दायरे में ही हो सकेगी.सेवा का यह स्वरूप इस बार सरकार के मुकाबले नहीं बल्कि उस पूरे तंत्र के साथ होगा जिसने अब तक जी जान लगाकर ,तमाम खतरे मोल ले कर ,अपनी जान गंवा कर इस खूबसूरत दुनिया को बचाने की लड़ाई लड़ी है. लल्लूराम डॉट कॉम ऐसी ही एक छोटी सी पहल कर रहा है.
यह एक मुहिम है इस पूरी लड़ाई में समाज के विभिन्न अंगों को सरकार के प्रयासों से जोड़ने की और महामारी के खिलाफ लड़ाई को ताकत देने की. यह विनम्र प्रयास है कोरोना से मुकाबले के महासंघर्ष में लल्लूराम डॉट कॉम की एक छोटी हिस्सेदारी का. यह पूरी मुहिम अत्यंत अनुशासित और सुरक्षित तरीके से चले यह हमारी प्राथमिकता होगी. हम नागरिकों से ,समाज सेवी संस्थाओं से ,सामाजिक – धार्मिक – व्यापरिक-राजनीतिक संगठनों से सम्पर्क करेंगे ,उनसे मदद के लिए आगे आने की अपील करेंगे और उनकी मदद को लल्लूराम डॉट कॉम के जरिए समाज के सामने भी लाने का प्रयत्न करते रहेंगे. हमारे देश में पत्रकारिता ने पहले भी संकट में समाज के लिए ,समाज के जरिये ,समाज के साथ खड़े होने की ज़िम्मेदारी निभाई है.इसी कड़ी में लल्लूराम डॉट कॉम अपनी जनपक्षीय पत्रकारिक प्रतिबद्धताओं के साथ यह अभियान शुरू कर रहा है.
आप सभी से विनम्र अपील है कि आगे आइए और इस खूबसूरत दुनिया को बचाने की ,इंसानी जीवन की गरिमा को बचाने की इस छोटी सी लड़ाई का बड़ा हिस्सा बनिये. बस ध्यान इस बात का रखना है कि हम कोरोना को ले कर शासन-प्रशासन द्वारा तय गाइड लाइन के दायरे में ही रहेंगे. अर्थात किस तरह की मदद ,कब, कहां और कैसे ये सब प्रशासन द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुरूप ही होगा.हम आपको इससे अवगत कराते रहेंगे. आपको हमसे लल्लूराम डॉट कॉम के नम्बर पर सम्पर्क करना है और आप जिस रूप में मदद करना चाहते हैं उससे संबंधित सारी जानकारी मिल जाएगी.
ध्यान रहे कि इस अभियान में लल्लूराम डॉट कॉम न तो नगद राशि एकत्रित करेगा और न ही किसी भी तरह से वस्तुओं का संग्रहण करेगा.
हम एक पुल की तरह मददगार लोगों और उन केंद्रों को जोड़ने का काम करेंगे जहां मदद की आवश्यकता है. इस देश की ताकत रही है कि जब-जब संकट आया है तब-तब हज़ारों हाथ मदद के लिए उठ खड़े होते हैं. आज इसकी ज़रुरत फिर आन खड़ी हुई है. लेकिन ये भी सच है कि ये मदद तभी सार्थक होगी जब कोरोना की गाइडलाइन का भी सख्ती से पालन हो और सतर्कता तथा इलाज के प्रोटोकॉल किसी भी सूरत में न टूटें.
कैसे जुड़ें लल्लूराम डॉट की इस मुहिम में
याद रहे जो भी करें, वो पूरी तरह से कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए करें. इसमें ज़रा सी चूक औरों को मुसीबत में डाल सकती है. अगर आप सामान देना चाहते हैं जो जिले के कलेक्टर या सीएमएचओ को दे सकते हैं. अगर आप पैसे से मदद करना चाहते हैं तो मुख्यमंत्री राहत कोष में कर सकते हैं. अगर आपको लगता है कि आप सीधे मुख्यमंत्री राहत कोष में पैसे नहीं डाल सकते तो चेक द्वारा स्थानीय कलेक्टर, एसडीएम या तहसीलदार से संपर्क कर सकते हैं.
CM RELIEF FUND
A/C No. 301988179
SBIN0004286
अगर दान के लिए जिला कलेक्टर या सीएमएचओ के दफ्तर से संपर्क कर सकते हैं. आप अपने दान को सही जगह पहुंचाने के आप लल्लूराम डॉट कॉम के हेल्पलाइन नंबर
- 9109121403
- 9109121413
पर फोन या व्हाट्सअप कर सकते हैं
मदद के लिए उठने वाले हर हाथ को पहचानेगा लल्लूराम डॉट कॉम
कोरोना के खिलाफ जंग में आप अपना सहयोग देते हैं तो लल्लूराम डॉट कॉम ऐसे काम करने वाले व्यक्ति या संस्थाओं को प्रोत्साहित करेगा. आपको करना केवल इतना है कि सहयोग का विवरण और उसकी तस्वीर लल्लूराम डॉट कॉम को इस नंबर पर व्हाट्सअप करना है.
रायपुर में क्या और कैसे करें मदद
लल्लूराम डॉट कॉम ने रायपुर स्थिति का जायजा लिया. यहां के कलेक्टर और सीएमएचओ से बात की. जिसके बाद उन चीजों की सूची तैयार की जिसकी ज़्यादा ज़रुरत है.
- रायपुर में जिला प्रशासन को बड़ी संख्या में श्रमसाधकों/ वॉलेंटियर्स की ज़रुरत है. संक्रमण की दर को देखते हुए जांच और ज़्यादा करने की ज़रुरत है और इस काम के लिए लोगों की ज़रुरत है. रायपुर जिला प्रशासन को इस वक्त 1800 लोगों की जरूरत है. इस काम में 900 लोगों की और ज़रुरत है. लेकिन ध्यान रहे ये काम जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में ही करना है. इसके लिए आप सीधे कलेक्टर या लल्लूराम डॉट काम से संपर्क कर सकते हैं.
- बढ़ते मामलों के मद्देनज़र शहर को और कोविड सेंटर की ज़रुरत पड़ेगी. सामाजिक संस्थाओं के पास अपने भवन है. जो कोरोना काल में खाली पड़े है. इन भवनों को आपातकालीन परिस्थितियों हेतु प्रशासन को दिया जा सकता है. इसके लिए सीधे जिला कलेक्टर या शासन से संपर्क किया जा सकता है.
- कोविड सेंटरों में ऑक्सीजन वाले अतरिक्त बेड की ज़रुरत है. इस काम के लिए व्यापक जन सहयोग की ज़रुरत है. आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की जरुरत और मरीज़ों को पड़ सकती है, लिहाज़ा कोविड सेंटर में बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था कराकर उस स्थिति से निपटने की तैयारी की जा सकती है. शहर में कुछ और एंबुलेंस की ज़रुरत पड़ सकती है. सीएमएचओ या डॉक्टर से बात करके गाड़ियों में ऑक्सीजन की व्यवस्था करके उसका इस्तेमाल एंबुलेंस में किया जा सकता है.
- कोविड सेंटर के लिए इस्तेमाल में आने वाले सामान जैसे – पीपीई कीट, आक्सीमीटर, कोविड ग्लब्सऔर मास्क की लगातार ज़रुरत पड़ रही है. यहां काम करने वाले नर्सिंग स्टॉफ को अतरिक्त ड्रेस की ज़रुरत है. इसकी व्यवस्था आप कर सकते हैं. कोविड सेंटरों में दान के लिए आप कलेक्टर या सीएमएचओ से संपर्क साध सकते हैं.
- कोरोना के संक्रमण की पहचान करने में ऑक्सीमीटर काफी कारगर साबित हो रहा है. लेकिन गरीब लोग आक्सीमीटर खरीद नहीं सकते हैं. उन परिवारों के लिए ऑक्सीमीटर दान दिया जा सकते हैं. इसके लिए जिला प्रशासन से संपर्क करें.
- कोरोना के संक्रमण से बचने में आयुर्वेदिक काढ़ा, होम्योपैथी दवाई आर्सेनिक और विटामिन सी, जिंक और मल्टीविटामिन की गोलियों की कारगर मानी जा रही है. आप ये खुद बांट सकते हैं. सामाजिक संगठन स्टॉल लगाकर और दुकानदार अपनी दुकानों में इसकी जेनेरिक दवाइयां सेनेटाइज़र के साथ रख सकते हैं और उन्हें बांट सकते हैं. इन दवाइयों को आप कोविड सेंटरों के लिए भी दे सकते हैं.
- वेंटिलेटर पर जो मरीज़ हैं. उन्हें दिये जाने वाले इंजेक्शन की भारी कमी है. इसकी सप्लाई कम हो पा रही है. अगर आप सक्षम हैं तो ये व्यस्था कर सकते हैं.
आखिरी बात. इन सब उपायों के अलावा सबसे कारगर उपाय है मास्क. मास्क कोरोना के संक्रमण को 85 फीसदी तक कम कर सकता है. आप खुद मास्क पहनें और दूसरों को पहनने के लिए मजबूर करें. अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति बिना मास्क के नज़र आए तो तत्काल विरोध करें. याद रखें कि बिन मास्क का व्यक्ति अपनी ज़िंदगी ख़तरे में नहीं डालता वो आपकी जिंदगी को खतरे में डालता है.
धन्यवाद