वैभव बेमेतिरहा, रायपुर। आर्य समाज से जुड़ने के बाद सन्यास ग्रहण करने वाले प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश अब हमारे बीच नहीं रहे. आज 80 साल की उम्र में उनका निधन का हो गया. उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में शाम 6.30 बजे अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे.

बता दें कि स्वामी अग्निवेश का छत्तीसगढ़ से गहरा जुड़ाव रहा है. उनका छत्तीसगढ़ में खूब आना-जाना लग रहा है. वैसे कम ही लोग जानते होंगे कि स्वामी अग्निवेश का जन्म छत्तीसगढ़ में ही हुआ था. हालांकि उनके जन्म स्थान को लेकर थोड़ा मतभेद ही रहा है. कहा जाता है कि उनका जन्म श्रीकाकुलम में हुआ था.

जन्म

स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के वक्त 21 सितंबर सन् 1939 को छत्तीसगढ़ जिले के जाँजगीर-चाँपा स्थित सक्ति रियासत में स्वामी अग्निवेश का जन्म नाना के यहाँ हुआ था. उनके नाना सक्ति रियासत में दीवान थे. अग्निवेश दक्षिण भारतीय परिवार से थे. सक्ति में बचपन बीतने के बाद वे कलकत्ता चले गए. कलकत्ता में उन्होंने लॉ और कॉमर्स में उच्च शिक्षा की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वे कलकत्ता में कुछ समय के लिए सेंट जेवियर्स कॉलेज में मैनेजमेंट पढ़ाते रहे. वहीं उन्होंने इस दौरान कुछ समय के लिए वकालत भी की.

आर्य समाज और सन्यास

अध्यापन और वकालत के बीच सन् 1968 में एक दिन अग्निवेश हरियाणा पहुँच गए. हरियाणा पहुँचने के बाद वे यहाँ पर आर्य समाज में शामिल हो गए. आर्य समाज में प्रवेश करने के बाद सन् 1970 में उन्होंने 31 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया. और फिर इसी के बाद उनके नाम के आगे स्वामी जुड़ गया और वे स्वामी अग्निवेश हो गए.

राजनीतिक सफर

सन् 1970 में सन्यास ग्रहण के बाद स्वामी अग्निवेश ने राजनीति की ओर भी रुख कर लिया. उन्होंने आर्य सभा नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई. हालांकि यह पार्टी कुछ वर्षों बाद धराशाई भी हो गई. लेकिन सन् 1977 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते भी. इस दौरान वे हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे. हालांकि बाद में राजनीतिक जीवन लंबा नहीं चला.

सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान

स्वामी अग्निवेश की पहचान देश-दुनिया में एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर ही अधिक रही. इसके बहुत कारण भी हैं. क्योंकि वे देश भर में कई बड़े सामाजिक मुद्दों को उठाने, उसके लिए लड़ने और समाधान तक पहुँचाने वाले प्रमुख व्यक्ति रहे. सन् 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा के नाम से एक संगठन की स्थापना की. इस संगठन के जरिए उन्होंने बंधुआ मजदूरी के मोर्चे पर खूब काम किया. छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जहाँ दिगर राज्यों में मजदूरों का खूब पलायन होता है वे अक्सर दूसरे राज्यों बंधुआ मजदूरी के शिकार होते रहे. ऐसे मजदूरों को छुड़ाने का प्रयास भी अग्निवेश ने किया था.

अन्ना आंदोलन में प्रमुख सहभागी 

स्वामी अग्निवेश 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए अन्ना आंदोलन के प्रमुख सहभागी रहे. जन लोकपाल बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में आयोजित इस आंदोलन में अन्ना हजारे के प्रमुख साथियों में अग्निवेश भी रहे. हालांकि बाद में कुछ मतभेदों के चलते इस आंदोलन से अलग भी हो गए. इस दौरान उनका एक कथित वीडियो भी वायरल हुआ था.

स्वामी पर हमला और सीबीआई जाँच

स्वामी अग्निवेश का छत्तीसगढ़ में आना-जाना लगा रहता था. इसका एक बड़ा कारण यहाँ आदिवासी क्षेत्रों में होने वाला संघर्ष रहा. नक्सल प्रभावित इलाकों में वे कई बार गए. लेकिन सन् 2011 में जब वे छत्तीसगढ़ पहुँचे तो सुकमा के दोरनापाल में उन पर हमला हो गया था. दरअसल स्वामी अग्निवेश 2010 में हुए ताड़मेटला कांड के प्रभावित लोगों से मिलने जा रहे थे. लेकिन उन पर सलवा जुडूम से जुड़े लोगों ने हमला कर दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह हमला स्थानीय पुलिस के संरक्षण में हुआ. बाद में इस मामले में सीबीआई जाँच भी हुई. जिसमें यह पाया गया था कि उन पर हमला करने वालों को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त था.

नक्सली संगठनों के मददगार होने का भी लगा आरोप

स्वामी अग्निवेश आदिवासी मुद्दों पर प्रमुखता से काम करते रहे. बस्तर वे जाते रहे. लिहाजा उन पर यह आरोप भी लगते रहा कि वे नक्सली संगठन की मदद करते हैं. इसे लेकर कई बार जमकर विवाद भी हुआ. बस्तर में कुछ संगठनों ने उनका खूब विरोध भी किया था.

बिग बॉस टीवी शो के प्रतिभागी 

सन्यासी और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर प्रतिष्ठित हो चुके स्वामी अग्निवेश एक विवादित टीवी शो में भी नज़र आए. एक ऐसे टीवी शो में जिसके कंटेट को लेकर हमेशा विवाद रहा है. इस टीवी शो का नाम बिग बॉस है. स्वामी अग्निवेश बिग बॉस-5 के प्रतिभागी रहे थे.