रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में एक महिला की बुधिन बास्की की डायन के सन्देह में हुई प्रताड़ना की कड़ी निंदा की है ,इस घटना में डायन बताकर महिला के साथ मारपीट की गई,घर मे तोड़फोड़, गांव से निकालने का प्रयास हुआ.और तो और जब पुलिस वहाँ पहुंची तो उस पर ग्रामीणों ने तीर कमान से हमला किया.

डॉ .दिनेश मिश्र ने बताया उन्हें जानकारी मिली है कि पश्चिम बंगाल में पूर्व बर्दवान जिले में रविवार को कुछ गांव वालों ने एक महिला बुधिन बास्की पर ग्रामीणों ने जादू टोने का सन्देह किया,उसे गांव के लिए खतरा बताते हुए उसे डायन करार दे दिया. लोगों ने घोषणा करते हुए कहा कि उस डायन को गांव में रखने का मतलब सर्वनाश है, उसे जल्द यहां से निकालना पड़ेगा. जब उस महिला का पति घर में नही था तब घर में घुसकर उस महिला के साथ मारपीट की गई ,उसकी झोपड़ी में भी तोड़फोड़ की गई उसे हाथों में डंडे बांध कर मनसा देवी के मंदिर लाया गया जहाँ उस,महिला को डायन करार देने के साथ गांव के मुखिया ने इस महिला को गांव से निकालने की सजा सुनाई और जबइस मामले की। शिकायत पुलिस से की गई और .गांव से महिला को निकालने की खबर मिलने के बाद पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे तो गांव वालों ने पुलिस को ही घेर लिया.

पूरे दिन चले इस हंगामे के बाद रात को आखिरकार गांव वालों ने पुलिस पर ही हमला बोल दिया. पुलिस ने किसी तरह जब पीड़ित महिला को वहां से बचाकर निकालने का प्रयास किया तो गांव वालों ने पुलिस पर तीर-धनुष से हमला कराना शुरू कर दिया. इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़ते हुए उन्हें तितर-बितर किया और महिला को सुरक्षित गांव से बाहर निकाला. इस मामले में 3 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पीड़ित महिला के पति का कहना है कि जब वह बाजार से घर आए तो देखा उनकी पत्नी को घर से निकाल कर गांव वाले, मनशा मां के स्थान पर ले गए हैं. जबकि वह घर में खाना पका रही थी वह निर्दोष है , तभी उसको गांव वालों ने घर से निकाला,मारापीटा और डायन बताया. अब उन्हें गांव से बाहर निकल जाने को बोल रहे,धमकी दे रहे हैं.

डॉ . दिनेश मिश्र ने कहा कोई नारी डायन /टोनही नही होती. जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं होता ह.यह सिर्फ अंधविश्वास है इस प्रकार किसी भी निर्दोष महिला को प्रताड़ित करना शर्मनाक तथा अपराध है .

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा प.बंगाल में प्रति वर्ष डायन के सन्देह में सैकड़ों मामले सामने आते हैं.पर सक्षम कानून के अभाव में उचित कार्यवाही नही हो पाती. हमने जून 2018 में प.बंगाल में डायन प्रताड़ना निषेध कानून की मांग की थी. तब कानून के लिए एक आयोग बनाने की जानकारी मिली थी. पर अब तक वहाँ कानून का न बन पाना चिंताजनक है. प. बंगाल में डायन प्रताड़ना के निषेध हेतु कड़ा एवम सक्षम कानून भय जाना चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले ,तथा निर्दोष प्रताड़ित महिलाओं को न्याय,मुआवजा मिल सके.
डॉ दिनेश मिश्र