विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा। जिले के स्वास्थ्य विभाग का अमानवीय चेहरा सामने आया है. आदिवासी गर्भवती महिला प्रसव के लिए गौरेला से बिलासपुर तक चक्कर लगा डाली. डॉक्टरों के प्रसव को लेकर गंभीरता नहीं दिखाए जाने की वजह से गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद महिला गर्भ से मृत बच्चे को निकालवाने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकती रही. आखिरकार कर्ज लेकर परिजनों ने निजी अस्पताल में महिला को दाखिल कराया, जहां गर्भ से मृत बच्चे को निकालने की कवायद की गई.

पूरा मामला नवगठित जिले गौरेला पेंड्रा मरवाही का है, जहां गौरेला विकासखण्ड के पडवानिया गांव में रहने वाली 35 वर्षीय पुनिया बाई की तबीयत बीते बुधवार को खराब होने के बाद उपचार के लिए एमसीएच अस्पताल गौरेला लाया गया, वहां ड्यूटी पर पदस्थ डॉक्टर ने महिला का प्राथमिक उपचार करते हुए गर्भस्थ शिशु के फेटल हार्ट रेट ना मिलने पर अल्ट्रासाउंड की सलाह देते हुए सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स के लिए रेफर कर दिया.

बुधवार को ही दोपहर लगभग 3:30 बजे गर्भवती महिला को लेकर उसके परिजन सिम्स पहुंचे. परिजनों के अनुसार लगभग 3 घंटे तक सिम्स के सभी जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने के बावजूद महिला को भर्ती नहीं किया गया उल्टे यह कह कर वापस भेज दिया गया कि यहां कोरोना फैला है, इसलिए इलाज नहीं हो सकता. ऐसी स्थिति में परिजन गर्भवती महिला को लेकर वापस 120 किलोमीटर पेण्ड्रारोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. यहां महिला को पूरी रात भर्ती रखा गया पर सुबह गुरुवार तक इलाज नहीं मिला और अंत में गौरेला स्थित निजी अस्पताल का रुख किया, जहां महिला दवाइयों के माध्यम से मृतक बच्चे को पेट से निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई.

मामले पर जब एमसीएच अस्पताल के प्रभारी डॉ. एमएस मार्को से बात की गई तो उन्होंने महिला को प्राथमिक उपचार के बाद सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स रेफर करने की जानकारी दी. वहीं निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सदन कुमार ने बताया कि महिला का उपचार जारी है, एवं गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो चुकी है, जिसे दवाइयों से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि शिशु के मृत्यु लगभग 3 दिन पहले हो चुकी थी, ज्यादा देर गर्भ में रहने की वजह से महिला के गर्भाशय में गंभीर संक्रमण और बीमारी हो सकती थी. अब दवाइयों से उसे ठीक करने की कोशिश की जा रही है.

वहीं इस मामले में सिम्स की पीआरओ आरती पांडेय ने बताया कि मैने इस पर जानकारी ली है, लेकिन कहीं से भी महिला को भगाने की बात सामने नहीं आ रही है. हो सकता है कि बाहर से ही किसी ने महिला को इलाज ना होने की बात कहकर भगा दिया होगा. वहीं आदिवासी महिला के इलाज में तीन अस्पताल में बरती गई लापरवाही पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को लचर बताया है.