रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने राष्ट्रपति द्वारा किसान बिल को हस्ताक्षर करने को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। महासंघ से संबद्ध 25 संगठनों द्वारा देशभर के किसानों के साथ राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिल पर हस्ताक्षर नहीं किये जाने का निवेदन किया गया था। लेकिन इस निवेदन को ठुकराते हुए राष्ट्रपति द्वारा कल किसानों के लिये इस कानून को बनाने में जल्दबाजी दिखा दी गई।

छग किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मण्डल सदस्य पारसनाथ साहू, तेजराम विद्रोही,  रूपन चंद्राकर और डॉ संकेत ठाकुर ने किसान विरोधी बिल के कानून बनाये जाने को देश के किसानों के लिये ऐतिहासिक काला दिन बताया है। इसीलिये देशभर में इस बिल के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने देश के 150 किसानों के आव्हान पर 25 सितंबर को प्रदेश में सैकड़ों स्थानों पर प्रदर्शन किया था।

महासंघ के नेताओं ने बयान जारी कर कहा है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के किसानों के धान की सीधी खरीदी राज्य सरकार द्वारा की जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के हाल में दिए बयानों से प्रतीत होता है कि प्रदेश के किसानों से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी और 2500 प्रति क्विंटल में धान खरीदी पर विपरीत असर पड़ सकता है। इन हालात में प्रदेश के 37 लाख किसान परिवारों की आजीविका पर किसान कानून की वजह से गहरा दुष्प्रभाव पड़ जायेगा। इसीलिये किसान आंदोलन की प्रदेश में रूपरेखा तय करने आगामी 30 सितंबर को दोपहर 2 बजे छत्तीसगढ़ के समस्त किसान संगठनों एवं किसानों से सहानुभूति रखने वाले बुद्धिजीवियों व समान विचारधारा वाले सामाजिक संगठनों की प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है। यह बैठक कोरोना महामारी में सावधानी बरतते हुए नगरघड़ी चौक के निकट कलेक्टोरेट गार्डन के सामने गढ़कलेवा परिसर में आयोजत की जायेगी।

महासंघ ने सभी किसान संगठनों से अपील है कि वे इस बैठक में शामिल होकर किसान विरोधी कानून के खिलाफ एकजुट होकर केंद्र सरकार को किसान हित में उचित उठाने मजबूर करें।