गरीब परिवार 22 साल के बेटे की जान बचाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. पीड़ित मां-बाप ने बच्चे के इलाज के लिए घर के सभी समान बेच दिया है. हालात ये हैं कि अब लोकेश यादव के पास बेटे की दवा के लिए पैसे तक नहीं हैं. राजेश के क़मर टूटने के बाद से बिस्तर पर है और चलने-फिरने से पूरी तरह मजबूर है.

पुरषोत्तम पात्र  गरियाबंद। जिले के कोपरा गांव में एक मजबूर पिता क़ुदरत की मार झेल रहा है. 22 साल के जवान बेटे का एक हादसा में क़मर टूट गया. अब पिता के पास उसके इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. लोकेश यादव गांव में गौ-सेवक के रूप में बरदी चराने (बरदिहा) का काम करके अपने परिवार का भरण पोषण करता था. किन्तु तीन महीने से बेटे की देखभाल में रोजीरोटी छूट गया है. उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. लोकेश यादव ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

जानकारी के मुताबिक, ये गरीब परिवार 3 माह से जवान बेटे की जान बचाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. पीड़ित मां-बाप ने बेटे के इलाज के लिए घर सभी आवश्यक व कीमती समान तक बेच दिया है. हालात ये हैं कि अब लोकेश यादव के पास बेटे की दवा के लिए पैसे तक नहीं हैं. राजेश बिस्तर पर है और चलने-फिरने से पूरी तरह मजबूर है.

राजेश के पिता का कहना है कि आमदनी ना होने के कारण वह अपने जवान बेटे का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. वह बस उसको झूठी तसल्लियां दे रहे हैं. लोकेश का कहना है कि बेटे के कमर टूटने से पहले गाय-बैल और भैंस चराने से कुछ आमदनी हो जाती थीं जिससे उनका परिवार का खाने-पीने की व्यवस्था जैसे-तैसे हो जाता था. पर इस समय उनके सामने दो वक्त की भोजन व्यवस्था भी ठीक से नहीं हो रहा है. मोहल्ले में कुछ लोगों ने उन्हें राशन के लिए मदद भी किये है. उनके पास उतना पैसा नहीं है जिसे वह राजेश के इलाज करा सके.

मैं राज्य सरकार से गुजारिश करता हूं कि मेरी मदद करे ताकि हमारे बुढ़ापे का इकलौता सहारा फिर से पहले जैसे चल फिर सके.
राजेश यादव अपने गांव के राज मिस्त्री के साथ हेल्फ़र का काम कर रहा था. 27 जुलाई को दो-मंजिला मकान में काम करते समय वह नीचे गिर गया, जिसे इलाज के लिए रायपुर निजी अस्पताल महादेवम मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. जांच में पता चला कि उनके रीड़ का हड्डी फ्रेक्चर हो गया है. राजेश के पिता ने अपने घर के कुछ कीमती सामान बेचकर और कुछ पैसे रिश्तेदारों ने दिए उससे राजेश का ऑपरेशन कराया, ऑपरेशन के बाद अब राजेश की जिंदगी इलाज के अभाव में बिस्तर पर कट रहा है.