दुर्ग। भिलाई की महिलाओं द्वारा निर्मित गोबर से बनी सजावटी सामग्री को लंदन से भी ख़रीददार मिले हैं। इतना ही नहीं लखनऊ, महाराष्ट्र के मुंबई, अकोला, पंजाब, उत्तराखंड, रायपुर, राजनांदगांव ,कोरबा से भी आर्डर मिला है।उड़ान नई दिशा संस्था की श्रीमती निधि चन्द्राकर ने बताया आज ही उन्होंने लंदन भेजने के लिए दियों ,वंदनवार, वाल हैंगिंग की डिलीवरी दी है. रायपुर के व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया, जो लंदन में रहने वाले अपने बेटे को भेजेंगे, जिससे वे अपनी संस्कृति से जुड़ाव भी महसूस कर सकें.
गोबर से बने दीयों और सजावट के सामान का अब ग्रामीण अंचल में ही नहीं बल्कि शहरों में भी क्रेज़ है. नगरीय निकायों में भी महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और त्योहार के लिए दिए और अन्य सजावटी सामान बना रहीं भिलाई की उड़ान नई दिशा की महिलाओं ने गोबर से वंदनवार ,डेकोरेटिव दिए, वाल हैंगिंग,शुभ लाभ आदि बनाए हैं. एक नया प्रयोग भी किया है, इन सामग्रियों में मौसमी सब्ज़ियों और फूलों के बीज भी डाले गए हैं, जिससे उपयोग के बाद इनको गमले में डालकर पौधे उगाए जा सकें. दीयों का मूल्य 2 रुपये, डेकोरेटिव दियों का मूल्य 50 से 150 रुपए , वंदन वार 150 से 250 रुपए और शुभ लाभ व लटकन 100 रुपए में उपलब्ध है. करीब 250 महिलाएं मिलकर ये काम कर रही हैं.
धमधा जनपद के नंदौरी के संगवारी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष रानी लक्ष्मी बाई बंछोर ने बताया कि जब उन्होंने सरकार की नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी, गोधन न्याय योजना के बारे सोशल मीडिया पर देखा और अखबारों में पढ़ा तो उनकी भी रुचि उत्पन्न हुई कि घर पर बैठकर भी आय अर्जित कर सकती है. मुख्यमंत्री ने गौठानों को रोजगार ठौर के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की है तो क्यों न हम महिलाएं भी स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ाएं. समूह बनाया और यू-ट्यूब पर गोबर से दिए बनाने की विधि देखी. जनपद पंचायत से भी मदद मिली. उनका का सबको पसंद आया अब तो और लोगों को भी प्रशिक्षण दे रही हैं.
राज्य शासन की गोधन न्याय योजना से एक तरफ किसान व पशुपालकों की आय में इज़ाफ़ा हुआ है, और वर्मी कम्पोस्ट व नाडेप खाद बनाकर जैविक खेती की राह तो रोशन हुई ही है.वहीं दूसरी ओर स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से दिए एवं अन्य सजावटी सामान बनाकर न केवल अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं, बल्कि आय भी अर्जित कर रही हैं. रक्षाबंधन में जहां गोबर से बनी राखियों को लोगों ने पसंद किया और गणेश चतुर्थी में गोबर व मिट्टी के गणेश घर घर विराजे अब नवरात्र और दीपावली के लिए दिए,धूप,वंदन वार,लटकन व शुभ-लाभ आदि सामग्रियाँ बाजार में आने की तैयारी में हैं.