रायपुर- राजभवन और सरकार के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा. राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा को हटाए जाने के बाद विवाद खुलकर सामने आ गया, हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राजभवन-सरकार के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है. सरकार अपने दायरे में रहकर काम कर रही है.
मरवाही में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में शामिल होने रवाना होने से पहले हेलीपैड पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि, ‘ विवाद या टकराव जैसी कोई बात नहीं. संविधान में सबके अपने दायित्व, कर्तव्य और अधिकार सुनिश्चित हैं, सरकार उसी दायरे में रहकर काम कर रही है’. राज्यपाल अनुसुइया उइके की ओर से बार-बार बुलाई जाने वाली समीक्षा बैठक पर भी मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, ‘ कहां कौन सीमा के बाहर जा रहा है, कहां नहीं जा रहा, इसकी विवेचना मीडिया और प्रबुद्ध जनता करेगी’.
जाहिर है मुख्यमंत्री इस मसले पर खुलकर टिप्पणी नहीं कर रहे, लेकिन उनका अंदाज बयां कर रहा है कि राजभवन का सरकारी कामकाज में किए जाने वाला दखल असहज है. लाॅ एंड आर्डर की समीक्षा के लिए गृहमंत्री समेत अधिकारियों को बुलाया जाना, बाद में क्वारंटाइन का हवाला देकर गृहमंत्री का बैठक में शामिल नहीं होना. देर शाम राज्यपाल के सचिव का तबादला होना. यह सब उस कड़ी का हिस्सा है, जो राजभवन-सरकार के बीच टकराव की कहानी को जोड़ता है. यह पहला मौका नहीं है, जब राज्यपाल ने सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप किया है. विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का मुद्दा हो, विधानसभा में पारित बिल पर मुहर लगाने का जिक्र हो, आदिवासियों के हितों से जुड़े मुद्दों पर सीधे सरकार को निर्देश देने का मसला हो या फिर सरकार के प्रशासनिक महकमे के कामकाज की समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा. सरकार के कामकाज के बीच समानांतर दखल दिए जाने की राज्यपाल की यह कवायद सवाल उठा रही है.