रायपुर। लेमरू प्रोजेक्ट को लेकर विस्थापितों के साथ मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ खड़े होने पर सवाल उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दिखावे के लिए विरोध करने का कोई मतलब नहीं है. अगर विरोध ही करना है तो पूरी तरह से कैबिनेट की बैठक लें और सरकार के निर्णय के बारे में बात करें. यह बात पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मीडिया से चर्चा में कही.
लेमरू प्रोजेक्ट को विस्तार देने से प्रभावित हो रहे सरगुजा अंचल के 39 गांव के रहवासियों के विरोध में मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ खड़े होने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि प्रोजेक्ट को स्वीकृति सरकार ने दी है, कैबिनेट में आप सरकार के निर्णय का समर्थन करते हो, और जब सरगुजा जाते हो प्रोजेक्ट से विस्थापित होने वालों से बात करते हो तो उनके पक्ष में बोलते हो. प्रोजेक्ट में स्पष्ट है कि एलीफेंट कॉरीडोर में 39 गांवों को आंशिक और पूर्ण रूप से विस्थापित करने की जरूरत पड़ेगी. तो फिर इसको मंजूरी देने का कोई औचित्य देने का कोई अर्थ नहीं था. आज जब रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है, तब इस तरह के विरोध का क्या अर्थ है.
वहीं डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल कार्यकाल को लेकर कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन जरूर सुनने में आता है कि दोनों के बीच में वरिष्ठ नेताओं के बीच में ढाई-ढाई साल का कार्यकाल तय किया गया था. यदि वह विषय है तो समय नजदीक आता जा रहा है तो जाहिर है बेचैनी बढ़ेगी ही. आने वाले समय में इसको लेकर बैचेनी और हलचल और दिखनी चाहिए.