सत्यपाल सिंह,रायपुर। देश में कोरोना वायरस के चलते एक लाख से अधिक लोगों ने जान गंवाई है. जबकि 73 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. ये आंकड़ा और बढ़ सकता है, यदि दिवाली और दशहरा में पटाखे जलाए गए तो. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि पटाखे जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और प्रदूषण का स्तर बढ़ा, तो फेफड़े में संक्रमण फैलेगा. इसके चलते दुगने रफ्तार से कोरोना का संक्रमण भी फैल सकता है. स्वास्थ्य मंत्री ने खुद इस बात को स्वीकार करते हुए पटाखा दुकानों को अनुमति नहीं देने की बात कही है, जबकि डॉक्टर्स भी प्रदूषण से कोरोना मरीजों में इजाफा होने और बीमारियों को न्योता देने की बात कही है. इसलिए तय आपको करना है कि इस बार दिवाली और दशहरा में पटाखे फोड़ने है या नहीं ?
पटाखा दुकान खोलने की न दें अनुमति
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि फटाखा बिकेगा, तो जनता खरीदेगा ही. इसलिए इस साल पटाखा दुकान खोलने की अनुमति नहीं देना चाहिए. जनता को अपनी जिम्मेदारी समझना होगा. हर साल जैसे त्योहार के बाद प्रदूषण स्तर बढ़ता, अगर इस साल ऐसा हुआ तो संक्रमण को हवा मिलेगा ही. प्रदूषण भी फेफड़े पर पहले हमला करता है और कोरोना भी. इसलिए लोगों से अपील है इस साल पटाखा ना फोडे़, कई शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्रदूषण बढ़ा तो ना केवल कोरोना संक्रमण फैलेगा, बल्कि मृत्यु दर में भी इजाफा होगा.
बीमार मरीज होंगे ज्यादा प्रभावित
एम्स पूर्व अधीक्षक डॉ करण पीपरे का कहना है कि बड़ी मुसीबत से बचना है, तो पहले से शतर्क रहने की जरूरत है. पूर्व में हुए गलतियों को दोहराने की बजाए उससे सीख लेना चाहिए. इस साल पहले जैसा हालात नहीं है. कोरोना से पूरा देश चपेट में है. इसलिए त्योहार में इस बार पटाखा हम सब को नहीं फोड़ना है और सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए. क्योंकि पटाखों से निकलने वाले केमिकल का कहर हम सब ने झेला है. ये भी अच्छे से जानते हैं कि इसका प्रभाव कितना खतरनाक होता है. यह प्रदूषण दमा, टीवी, ह्दय रोग, कैंसर जैसे रोगों के मरीजों को प्रभावित करेगा. इन मरीजों को कोरोना होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए पटाखे ना फोड़े, बल्कि सरकार इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.
फेफड़ा खराब करता है प्रदूषण
आईएमए के सदस्य और कांग्रेस जिला प्रकोष्ट के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता का कहना है कि अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ा, तो कोरोना के संक्रमण का प्रकोप झेलना पड़ सकता है. प्रदूषण फेफड़े को खराब करता है. ठीक ऐसे ही कोरोना का अटैक पहले फेफड़े में ही होता है. इसलिए लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. इस साल खास कर दिवाली, दशहरा में पटाखा न जलाएं और अन्य प्रदूषण फैलाने वाले सामग्री से दूर रहे.
ना पटाखा फोड़े ना दुकान लगाए
सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल का कहना है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ते ही कोरोना का कहर बढ़ जाएगा. इसलिए हमें न केवल समझना होगा, बल्कि जिम्मेदारी समझ कर इस साल उन उत्पादों से दूर रहना होगा, जो प्रदूषण फैलते हैं. जैसे हर साल देखते है कि दशहरा और दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इस साल ये दोहरा गया, तो खतरनाक हो सकता है. हम अपने परिवार कई सदस्यों को खो सकते हैं. हमेशा जीवन भर का पछतावा होगा कि एक साल अगर अपनी जिम्मेदारी समझ लेते, तो अपनों को नहीं खोया होता. इसलिए लोगों से अपील है कि ना पटाखा फोड़े ना पटाखों की दुकान लगाए.
क्या कहता है शोध ?
लंबे वक्त तक वायु प्रदूषण में रहने के असर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला है कि महामारी के पहले के सालों में प्रदूषण के स्तर में मामूली बढ़ोतरी से कोविड-19 की मृत्यु दर में करीब 15 फ़ीसदी का इजाफ़ा हो सकता है.
वायु प्रदूषण से मौतें
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का अनुमान है कि विश्व में वायु प्रदूषण के चलते हर साल क़रीब 70 लाख मौतें होती हैं. वर्ल्ड बैंक की वायु प्रदूषण के वैश्विक वितरण पर पिछले साल जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण से प्रभावित देशों में से कई दक्षिण एशिया, भारत के उत्तरी राज्य दिल्ली-हरियाणा-झारखंड, मिडल ईस्ट, सब-सहारा अफ्रीका और उत्तरी अफ्रीका के देश हैं.