रायपुर- मरवाही उप चुनाव के ठीक पहले जाति मामले के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय जांच समिति द्वारा अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किए जाने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने तत्कालीन रमन सरकार पर सवाल उठाये हैं. जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के फैसले का स्वागत कर चुके साय ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि पिछली सरकार में आखिर वह कौन लोग थे, जिन्होंने इस काम को रोक रखा था. इस पर विश्लेषण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि- ‘मुझे लगता है कि उस समय अजीत जोगी सत्ता को अपने प्रभाव मंडल में रख जाति मामले की जांच रोक रखे थे, संभवतः इसी प्रयत्न को लेकर यह मामला रूका रहा’. साय ने कहा कि निर्णय देर से हुआ, लेकिन दुरूस्त हुआ.
नंदकुमार साय ने अमित जोगी की जाति मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, हम तो प्रारंभ से लड़ते रहे कि जाति प्रमाण पत्र अवैध तरीके से अर्जित की गई. जोगी जी नहीं है, लेकिन निर्णय़ हुआ है चर्चा तो होगी. उन्होंने कहा कि, मैं उनके विरूद्ध मरवाही से लड़ा था. उस लड़ाई को न्यायालय तक ले गया था. निरंतर कोशिश कर रहे थे कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए कोई भी गैर जनजाति व्यक्ति इस वर्ग का लाभ कैसे ले सकता है. यह निर्णय तब ही हो जाना चाहिए था, जब हम इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे थे. जाति प्रमाण पत्र की जांच अंतिम रूप से उच्च स्तरीय छानबीन समिति को ही करनी थी. समिति को ही यह निर्णय करना चाहिए था. तब क्या कारण थे, वह तो उस समय की छानबीन समिति बता सकती है. बता दें कि नंदकुमार साय ने अजीत जोगी की जाति मामले को कोर्ट में चुनौती देकर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी.