फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस पार्टी वाली भूपेश सरकार को बने दो साल भी पूरे नहीं हुए है. बावजूद इसके भूपेश सरकार ने अपने कुछ बेहतरीन कामों से देश में खूब नाम कमा लिया है. फिर काम चाहे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का हो या फिर नगरीय विकास का. इस स्पेशल रिपोर्ट में बात नगरीय विकास की करेंगे. बात उन 10 बेहतरीन कामों की जिसकी चर्चा प्रदेश ही नहीं देश में भी है. ज्यादातर कामों को लेकर तो छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्यों में है. खास तौर पर स्वच्छता के मामले में छत्तीसगढ़ देश का अव्वल राज्य बना है. वहीं राज्य सरकार ने शहरी गरीब परिवारों को काबिज भूमि का पट्टा देने और बेहतर आवास उपलब्ध कराने के लिए ‘राजीव गांधी आश्रय योजना‘, ‘मोर जमीन मोर मकान‘ जैसी अभिनव प्रयास भी किया है . इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में भी बड़ी संख्या में आवास पूर्ण किए गए हैं. और तो और भूपेश सराकर ने शहरी लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी कुछ खास काम किए हैं.
आइये जानते हैं शहरों में भूपेश सरकार के टॉप 10 काम
छत्तीसगढ़ देश का स्वच्छतम राज्य
छत्तीसगढ़ में बीते 2 वर्षों में स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतरीन काम हुआ है. खास तौर पर प्रदेश के छोटे शहर और कस्बों में स्वच्छता का कार्य शानदार रहा है. भारत सरकार की ओर से कराए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019-2020 में प्रदेश का स्थान सराहनीय रहा है. देश में छत्तीसगढ़ को स्वच्छतम राज्य के रूप में चुना गया है. वहीं दुर्ग जिले के पाटन नगर पंचायत को छोटे शहरों के श्रेणी में देश का स्वच्छतम शहर घोषित किया गया है. इसी तरह राष्ट्रीय शहरी आजिविका मिशन के तहत गठित क्षेत्र स्तरीय संगठनों, शहर स्तरीय संगठनों को भारत सरकार ने स्वच्छता एक्सेलेंस अवॉर्ड श्रेणी अंतर्गत नगर पालिक निगम, रायगढ़ के उजाला क्षेत्र स्तरीय संगठन एवं नगर पालिक निगम, अंबिकापुर के स्वच्छ अंबिकापुर मिशन सहकारी समिति मर्यादित को प्रथम पुरस्कार और नगर पालिका परिषद्, सरायपाली के स्वच्छ सरायपाली महिला क्षेत्रीय संगठन को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. गौरतलब है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में 2017 में छत्तीसगढ़ को कोई स्थान नहीं मिला था, जबकि वर्ष 2018 के सर्वेक्षण में स्थान तृतीय था.
मिशन क्लीन सिटी और स्वच्छता दीदी
छत्तीसगढ़ में स्वच्छता के साथ एक परियोजना जोड़ी गई है, नाम है- मिशन क्लीन सिटी. मिशन क्लीन सिटी का पूरा काम महिला स्व-सहायता समूहों के पास है. इस परियोजना से प्रदेश में करीब 10 हजार महिलाएं जुड़ी हैं. परियोजना से जुड़ी इन महिलाओं को स्वच्छता दीदी कहते हैं. इनके द्वारा प्रदेश के 15 लाख घरों से प्रतिदिन 1600 टन कचरा (गीला एवं सूखा अलग अलग कर) एकत्रित किया जाता है. संपूर्ण कचरे का वैज्ञानिक रीति से निपटान किया जाता है. स्वच्छता दीदियों की आय में वृद्धि हेतु राज्य सरकार द्वारा दीदियों के मानदेय को बढ़ा कर 6000 रुपए करने का निर्णय लिया गया. सूखे कचरे की बिक्री से 15 करोड़ रुपए की आय भी स्व-सहायता समूहों के मध्य वितरित की गयी.
मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के संग डॉ राधाबाई डायग्नॉस्टिक सेंटर भी
भूपेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से हाट-बाजार क्लीनिक चला रही है उसी तरह शहरी क्षेत्र के बस्तियों में मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थय योजना भी चला रही है. इस योजना का संचालन आज प्रदेश के 14 नगर निगमों के 861 स्लम में क्षेत्रों में हो रहा है. योजना से 1,71,247 परिवार से लाभांवित हो रहा है. योजना अंतर्गत 120 मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से झुग्गी बस्तियों में ही निशुल्क परामर्श, इलाज, दवाइयों एवं पैथोलाजी लैब की सुविधा दी जा रही है. वहीं अब इस योजना के साथ ही प्रदेश के नगर निगमों में ‘डॉ राधाबाई डायग्नॉस्टिक सेंटर’ प्रारंभ करने की घोषणा की गई है. इसके अंतर्गत विश्वस्तरीय पैथालॉजी एवं रेडियोलॉजी लैब की पीपीपी मोड़ पर स्थापना की जाएगी. नागरिकों को न्यूनतम दर पर यह सुविधा उपलब्ध कराने वाली एजेन्सी से राज्य साझेदारी करेगी. वहीं द्वितीय चरण में ‘मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना’ का प्रदेश के समस्त 166 शहरों में विस्तार किया जाएगा.
मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय और जन शिकायत निवारण
शहरी क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं सीधे मुख्यमंत्री तक पहुँच जाए इसके लिए राज्य सरकार ने एक अच्छी कोशिश की है. सरकार ने नगर निगम क्षेत्रों के वार्डों में मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय खुलवाए हैं. इसके पीछे उद्देश्य है कि लोग अपनी बातें, शिकायतें वार्ड के स्थानीय जनप्रतिनिधि के माध्यम से उन तक पहुँचा सके. ताकि समय पर लोगों की समस्याएं दूर हो जाए, जन शिकायतों का निवारण हो जाए. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय से अब तक 25,000 से अधिक नागरिकों की समस्या का हुआ निदान हुआ है. इसके अलावा टोल फ्री नम्बर निदान-1100 के माध्यम से प्रदेश के नगरीय निकायों से संबंधित किसी भी समस्या को नागरिक दर्ज करा सकते हैं. जानकारी यह भी कि टोल फ्री नंबर के माध्यम से अब तक एक लाख से अधिक शिकायतें निराकरण हुआ है. विशेष बात यह कि नागरिक के संतुष्ट होते तक शिकायत को निराकृत नहीं माना जाता. काम नहीं करने वाले अधिकारी पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
मुख्यमंत्री मितान योजना से घर पहुँच सेवा
भूपेश सरकार ने नगरीय निकाय क्षेत्र के रहवासियों के लिए एक बड़ा काम किया है. यह काम है घर पहुँच सेवा का. इसके अंतर्गत शहरी नगारिक घर बैठे ही शासकीय विभागों में लोक सेवाओं से जुड़े कार्यों के लिए आवेदन कर उसे प्राप्त कर सकते हैं. इस सेवा को मुख्यमंत्री मितान योजना नाम दिया गया है. योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए नागरिक ऐप तैयार किया है. इस ऐप के माध्यम से मितान का एपॉन्टमेंट बुक कर सकते हैं. वहीं निर्धारित समय पर मितान नागरिक के घर पहुँच कर सभी आवश्यक दस्तावेज मोबाइल से स्कैन करेगा और निर्धारित समय सीमा में वांछित प्रमाण पत्र, लाइसेन्स और सुविधा घर पहुँचाएगा. इसका पर्यवेक्षण उच्च तकनीक से किया जाएगा.
मिशन क्लीन खारुन और नदियों का पुनर्जीवन
छत्तीसगढ़ नदियों का प्रदेश है. यहाँ जीवनदायिनी महानदी, शिवनाथ, हसदेव, अरपा, इंद्रावती, खारुन जैसी कई नदियाँ है. इन नदियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार अच्छा काम कर रही है. भूपेश सरकार ने उन नदियों के पुनर्जीवन का भी काम शुरू कर दिया जो कि मृत प्राय अवस्था पहुँच चुकी है. इसमें एक महत्वपूर्ण नदी है केलो. केलो नदी को बचाने और उसे पहले की तरह प्रवाहमय स्वच्छ बनाने काम प्रारंभ हो गया है. इसी तरह इंद्रावती के लिए भी प्रयास किया जा रहा है. वहीं रायपुर की जीवनदायिनी खारून नदी को बचाने 300 करोड़ रुपए की लागत से ‘मिशन क्लीन खारून’ का कार्य प्रारंभ. इससे नदी में नालों का पानी नहीं जाएगा. रायगढ़ में केलो नदी एवं बस्तर में इंद्रावती के संरक्षण हेतु 200 करोड़ रुपए की योजना का कार्य प्रारम्भ किया गया है.
पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने पौनी-पसारी योजना
छत्तीसगढ़ पारंपरिक व्यवसायों को पुनर्जीवित करने का किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दिशा में एक ऐसा प्रयास किया है जिससे की पारंपरिक व्यवसाय करने वाले लोगों को मदद मिल सके. वे अपने व्यवसायों को शहरों में भी जीवित रख सके. इससे उनके रोजगार में वृद्धि हो सके. सरकार ने पारपंरिक व्यवसाय करने वालों के लिए पौनी-पसारी योजना की शुरुआत की है. शहरों के हृदय स्थलों पर पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने 255 स्थानों पर पौनी-पसारी बाजार की स्थापना का प्रावधान किया गया है.
नरवा-गरवा-घुरवा-बारी और वाटर रीचार्जिंग
छत्तीसगढ़ सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है नरवा-गरवा-घुरवा-बारी. इस योजना का सफल क्रियान्वयन गाँवों में तो हुआ ही है. शहरों में भी इस योजना को सफल बनाने की दिशा में कारगर काम हुआ. खास तौर शहरों में नरवा के अंतर्गत नालों और तालाबों को संरक्षित करने के साथ वाटर रीचार्चिंग काम किया जा रहा है. योजना के तहत तालाबों एवं नदियों में प्रवाहित हो रहे जल के शुद्धिकरण, समस्त भू-गर्भ आधारित जल स्त्रोतों के विकास के साथ सतही जल स्त्रोत को विकसित किया जा रहा है. यह कार्य विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रगति पर है. वी-वायर इंजेक्शन वेल के माध्यम से भू-जल की चार्जिंग हेतु परियोजना तैयार की गयी है. जिससे न केवल जल स्त्रोत सुदृढ़ होंगे अपितु जल भराव की समस्या भी हल हो सकेगी.
‘मोर जमीन मोर मकान‘ योजना में 2.5 लाख तक वित्तीय सहायता
भूपेश सरकार ने भूमिहीन लोगों को काबिज जमीन का पट्टा देने‘ राजीव आश्रय योजना‘ प्रारंभ की है. इस योजना के तहत दो लाख शहरी गरीब परिवार लोगों को लाभ दिया गया है. 19 नवंबर 2018 के पूर्व में काबिज कब्जाधारकों को भू स्वामित्व अधिकार प्रदान किया जा रहा है. इसमें ऐसे व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे जिन्हें पूर्व में पट्टा प्रदान किया गया था परंतु नवीनीकरण प्रावधानों के अभाव में वह भूमि का उपभोग नहीं कर पा रहे थे. वहीं उन्हें ‘मोर जमीन मोर मकान‘ योजना में 2.5 लाख तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है.
प्रधानमंत्री आवास योजना में बनाए गए 70 हजार आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत जून 2015 से दिसंबर 2018 तक मात्र 8000 आवास का ही काम पूरा हुआ था. लेकिन वर्तमान में में 70,000 आवास पूर्ण कर लिया गया है. हितग्राहियों को सीधे उनके खातों में 1800 करोड़ रुपए भुगतान किया जा रहा है. प्रदेश के तीन लाख रुपए की आय तक वाले किराएदारों को मकान मालिक बनाने हेतु पॉश कॉलोनी में 3.5 लाख रुपए में दो कमरे का पक्का आवास दिया जा रहा है. वहीं राजनांदगाँव नगर निगम क्षेत्रांतर्गत आशा नगर में कुष्ट रोगियों हेतु समग्र विकास की योजना बनाकर सभी को पक्का आवास एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की गयीं. इस परियोजना को एचयूडीसीओ द्वारा सम्मानित किया गया.