रायपुर- अंबिकापुर में खेत में लगी खड़ी फसल को जेसीबी से रौंदे जाने के मामले पर पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने सरकार को तानाशाही करार देते हुए कहा कि फसल लगी हुई जमीन पर जेसीबी चलाने वाला प्रशासन दैत्य है. उगी हुई फसल को काटने से बड़ा जघन्य अपराध नहीं हो सकता.
पूर्व मंत्री ने कहा कि इस सरकार के अलग-अलग नेता अपने-अपने इलाकों में क्षत्रप हो गए हैं. ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ में एक मुख्यमंत्री नहीं है, 27 जिलों के 27 मुख्यमंत्री हैं. अधिकारी उनकी सुनते हैं. कोई किसी की जमीन पर कब्जा कर रहा है, कोई किसी की हत्या कर रहा है, कोई कोकिन की दुकान चला रहा है, कोई रेत माफिया बना बैठा है. राज्य में कानून व्यवस्था नाम की चीज बची नहीं है. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यदि सरकार को जमीन की जरूरत है, तो फसल कटने तक का इंतजार करना चाहिए था.
केंद्र के कृषि कानून को लेकर छत्तीसगढ़ में उठ रही आपत्ति पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार के नेता-मंत्री झूठ बोल रहे हैं. नए कानून के आने के बाद एक रूपए किलो चावल देने की योजना किसी तरह से प्रभावित नहीं है, एमएसपी पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि सरकार में ताकत है, तो एमएसपी पर चना खरीदी शुरू करे, सरकार में ताकत है, तो यह कानून लेकर आए कि रबी का धान भी एमएसपी की दर पर खरीदा जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र ने जिन 23 चीजों पर एमएसपी घोषित किया है, राज्य सरकार उसे एमएसपी पर ही खरीदने का साहस दिखाए. पूर्व मंत्री ने कहा कि केंद्र से एथेनाल बनाने की मंजूरी मिली है, क्या राज्य सरकार इसके लिए अलग से 29 क्विंटल धान खरीदेगी. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार घोषणा करे कि नए कानून के अंदर तीन दिन में भुगतान किया जाएगा. हम चाहते हैं कि सरकार कानून लाए कि 30 दिनों के भीतर भुगतान नहीं होने पर प्रकरण दर्ज होगा.
विशेष सत्र बुलाकर केंद्र के कानून को नहीं बदला जा सकता
पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि केंद्र के कानून को निष्प्रभावी करने का अधिकार किसी को भी नहीं है. उन्होंने कहा कि 27-28 को विधानसभा के आहूत किए गए सत्र का कोई औचित्य नहीं है. यह सरकार बहुमत का मजाक उड़ा रही है. यह बहुमत का दुरूपयोग है. भीड़ में इकठ्ठे होकर हम अपने अधिकारों का दुरूपयोग करे, यह उचित नहीं है. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि केवल विशेष परिस्थितियों में ही सत्र बुलाया जा सकता है. बाढ़ आई हो, युद्ध का समय हो, बजट में प्रोविजन की जरूरत है, जिसके बगैर प्रदेश नहीं चलेगा, केवल ऐसे हालातों में ही विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. सत्र बुलाया जाना यह विवेकवान लोगों का निर्णय़ नहीं है. हिम्मत है तो दस दिनों का सत्र बुलया जा, जिसमें रेत माफिया, शराब माफिया, कोकिन माफिया पर चर्चा हो सके. यह महज राजनीतिक सत्र है. इस सत्र में सरकार कौन सा कानून ला रही है, यह फिलहाल मुझे नहीं पता, लेकिन मुझे लगता है कि यह खोदा पहाड़ निकली चूहिया वाला कानून होगा. केंद्र के कानून में राज्य कोई बदलाव नहीं कर सकता.
ट्रैक्टर रैली पर कटाक्ष
केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में ट्रैक्टर रैली में राहुल गांधी के शामिल होने की संभावनाओं पर बृजमोहन अग्रवाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अच्छा है, उनका स्वागत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता कभी ट्रैक्टर में बैठे नहीं है. अच्छी फोटो आएगी. पेपर में छपेगी. 50 सालों में जिन्होंने किसानों का भला नहीं किया, वह ट्रैक्टर में बैठकर भला नहीं कर सकते, जिन्हें यह नहीं मालूम भिंडी कैसी उगती है, आलू कैसा उगता है, जिन्हें नहीं मालूम मिर्ची कैसी उगती है, वह किसानों की बात कर रहे हैं.