रायपुर- कृषि कानून पर राजनीति अभी थमी नहीं है. पूर्व कृषि मंत्री और बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लाए जा रहे नए कानून पर सियासी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार जिस तरह का कानून लाने की तैयारी में है, उस कानून का न हाथ, न पैर और न ही सिर दिख रहा है. यह बेमतलब का कानून है. उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को इस कानून से कोई फायदा नहीं होगा. सरकार का मकसद सिर्फ राजनीतिक एजेंडों को पूरा करना और अपने आकाओं को खुश करना है. इसलिए नया कानून बनाया जा रहा है.
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार खुद एमएसपी पर किसानों की उपज खरीदे. धान की उपज में किसानों से 15 क्विंटल ही धान सरकार खरीदती है. बाकी धान कहां जाएगा. हम चाहते हैं कि सरकार किसानों की पूरी उपज खरीदने का कानून बनाए. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने भवांतर योजना शुरू की थी, जिसमें सपोर्ट प्राइज में अंतर की राशि राज्य सरकार देती है. छत्तीसगढ़ में भी भूपेश सरकार ऐसी योजना को लागू करे. हम उसका स्वागत करेंगे.
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा, उधऱ बिहार में समीक्षा, कांग्रेस का दोहरा चेहरा
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस को दोहरे चेहरा वाली पार्टी बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि राज्य में शराबबंदी की जाएगी. आज दो साल बीत गए, लेकिन सरकार ने शराबबंदी के लिए कोई कदम नहीं उठाया, उधर बिहार में अपने घाोषणा पत्र जारी कर कांग्रेस कहती है कि हम शराबबंदी की समीक्षा करेंगे. दो तरह की बातें कैसे हो सकती है.
तेजी से बढ़ रहा धर्मांतरण
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में धर्मांतरण के मामलों में तेजी आई है. देशविरोधी गतिविधियां बढ़ रही है. धर्मांतरण के लिए लोग घूम रहे हैं, लेकिन सरकार उन लोगों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही. सरकार धर्मांतरण को प्रोत्साहित कर रही है.
इस्तीफा देकर सड़क की लड़ाई लड़े टी एस सिंहदेव
इधर एक सवाल के जवाब में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को बेचारा कह दिया. उन्होंने कहा कि सिंहदेव बेचारे बोलते रहते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मैं यही कहूंगा कि बार-बार इस्तीफा देने की बात करते हैं, यदि उन्हें सरकार को सबक सिखाना है, तो मंत्रीमंडल से इस्तीफा देकर सड़क की लड़ाई लड़ें.