बिलासपुर। आज की शाम आज एक दुखद ख़बर लेकर आई. खबर ये कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम नहीं रहे. शाम तकरीबन 6.30 बजे उन्होंने बिलासपुर स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

गोंगपा के नेता प्रमु सिंह जगत हीरा सिंह के निधन की जानकारी देते हुए बताया है कि लंबे समय से हीरा दादा बीमार चल रहे थे. उनका इलाज बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था. निधन वाले दिन वे अपने गुलाब नगर स्थित घर पर थे. लेकिन देर शाम वे हम सबको सदा के लिए छोड़कर चले गए. उनका जाना गोंगपा के लिए बड़ी क्षति तो है ही, पूरे इलाके के आदिवासियों के लिए एक बड़ा नुकसान है. वे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के दिग्गज आदिवासी नेता थे. वे आदिवासियों के संरक्षक थे.

एक नज़र उनके जीवन पर-

जन्म

हीरा सिंह मरकाम का जन्म 14 जनवरी 1942 को बिलासपुर जिले के तिवरता गांव के एक खेतिहर मजदूर किसान के यहां हुआ था. वर्तमान में यह गाँव अब कोरबा जिले के अंतर्गत आता है. हीरा सिंह के पिताजी का नाम देव शाय मरकाम तथा माता का नाम सोनकुंवर मरकाम था. कुल सात भाई-बहनों में से एक थे हीरा दादा.

राजनीतिक जीवन-

बतौर सरकारी स्कूल शिक्षक रहे हीरा सिंह ने 2 अप्रैल 1980 को सरकारी सेवा से त्यागपत्र देकर पालीतानाखार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में कूद पड़े थे. बावजूद इसके चुनाव में दूसरे स्थान प्राप्त रहे और यहीं से राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी.

इसके बाद दूसरा चुनाव वर्ष 1985-86 में भाजपा के टिकट से लड़े और पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा में पहुंचे. लेकिन इस दौरान वर्ष 1989- 90 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी भाजपा में बगावत कर दिया. उन्होंने पार्टी के अंदर स्थानीय के बदले बाहरी व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाने का मुद्दा उठा दिया. लेकिन पार्टी ने बात नहीं सुनी तो वे खुद पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ जाँजगीर लोकसभा के चुनावी मैदान में उतर गए थे. हालांकि वे चुनाव हार गए थे. इसके बाद उन्होंने भाजपा को पूरी तरह छोड़ दिया.

नंबे के दशक में हीरा सिंह ने गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी की नींव रखी. और 13 जनवरी 1991 को आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा हुई. वर्ष 1995  में गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी के टिकट पर वे तानाखार विधानसभा से मध्यावधि चुनाव लड़े और जीतकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. फिर 1998 में भी वे तानाखार से विधायक रहे. वहीं वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा से तीन विधायक दरबू सिंह उईके, राम गुलाम उईके और मनमोहन वट्टी चुनाव जीते थे.