हेमंत शर्मा, रायपुर। झीरम घाटी मामले की जांच कर रही एनआईए ने एक बार फिर कांग्रेस नेता दौलत रोहरा को तलब किया है। झीरम की नोटिस पर दौलत रोहरा एनआईए दफ्तर पहुंच गए हैं। यह चौथा मौका है जब जांच एजेंसी एनआईए ने दौलत रोहरा को बयान के लिए बुलाया है।

मामले में दौलत रोहरा ने कहा कि हाईकोर्ट में मैंने एनआईए की जांच के खिलाफ एक याचिका लगाई है, जो 2 सितंबर 2019 को मंजूर हो गयी है। उसके बाद एनआईए जागी है और झीरम घाटी की जांच इन लोगों ने फिर से चालू किया। मेरी याचिका लगी हुई है इसलिए मैंने इनको बता दिया है कि मेरी आपके खिलाफ याचिका लगी है। मैं एनआईए की जगह एसआईटी से जांच करवाना चाहता हूं इसलिए मैं आपको बयान देने में असमर्थ हूं। आप मुझे बार-बार नोटिस भेज रहे हैं, मैं उसका कागजी कार्रवाई से जवाब दे रहा हूं। मैने स्वयं उपस्थित होके उस बात को उनके सामने रखा और राइटिंग में भी दिया।

दौलत रोहरा ने आगे कहा कि झीरम घाटी हमले के चार-पांच दिन बाद जांच के लिए एनआईए का गठन हो गया था। एनआईए ने 2014 के अपनी एक रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी। न हम लोगों से पूछा गया और न जांच सही ढंग से हुई। सिर्फ टेबल में बैठ के बयान हुए, जांच में हमें पूरा भरोसा नहीं है। अपराधी जिनको पकड़ना था वो सामने आया नहीं। 2019 में राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एनआईए ने उनको दस्तावेज नहीं दिए, इसलिए मजबूर होकर हमें हाईकोर्ट के शरण मे जाना पड़ा।

आपको बता दें झीरम घाटी हत्याकांड के दौरान दौलत रोहरा घटना में शहीद पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ला के साथ ही थे। नक्सलियों ने पूर्व मंत्री महेन्द्र कर्मा, तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल सहित 29 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं की हत्या कर दी थी। वहीं इस हमले में विद्या चरण शुक्ल गंभीर रुप से घायल हुए थे, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी।