रूपेश गुप्ता,पटना। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का हैलीकॉप्टर लौकहा में चक्कर लगाने के बाद मैदान में उतरी, जहां आस-पास भीड़ खड़ी है और कई लोग बघेल को हाथ हिलाकर भूपेश का इस्तेकबाल कर रहे थे. तो कई युवा मोबाइल से हैलीकॉप्टर का वीडियो बना रहे थे. हैलीपैड से मंच तक भूपेश बघेल हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन करते रहे. जनता भी चिल्लाकर- जिंदाबाद के नारे लगाकर उनका स्वागत कर रही थी. बिहार की जनता को राजनीतिक रुप से परिपक्व माना जाता है.

मुख्यमंत्री गैलरी से जनता के बीच से होते हुए मंच की तरफ बढ़ रहे थे, उस दौरान भी तमाम नौजवान हाथ हिलाकर उनके साथ सेल्फी लेते नज़र आए. भीड़ के भूपेश बघेल के प्रति इनका रिस्पांसिव होने की वजह उनके द्वारा छत्तीसगढ़ में किसानों के हक में उठाए गए कदम को माना जा सकता है. जिसका जिक्र राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता हर राज्य के चुनावी सभाओं में कर रहे हैं. भूपेश बघेल यहां आरजेडी के प्रत्याशी भारत भूषण के लिए वोट मांगने पहुंचे थे. करीब 1 घंटे के कार्यक्रम के बाद भूपेश बघेल जाले के लिए रवाना हुए. रास्ते में उन्होंने बड़ी विनम्रता से दूसरी सभा में हो रही देरी का हवाला देते हुए बाइट देने से मना कर दिया.

पेड़-छत पर चढ़कर बड़े-बच्चों ने सुना भाषण

जिन लोगों को मैदान में जगह नहीं मिली, उन्होंने मैदान के बाहर पेड़ पर चढ़कर भूपेश का भाषण सुना. हालांकि उनमें ज़्यादातर बच्चे थे. लेकिन मैदान के चारों तरफ मकानों की छतों पर महिला और बुजुर्ग भूपेश का भाषण सुनने के लिए डटे रहे.

चुनावी प्रचार के दौरान क्या खाते हैं भूपेश ?

भूपेश बघेल आमतौर पर घर का ही खाना पंसद करते हैं. विधानसभा हो या छत्तीसगढ़ का चुनावी प्रचार, वे अपने साथ बड़ा सा टिफिन लेकर चलते हैं. जिसमें उनके और उनके सभी स्टाफ के लिए पर्याप्त खाना होता है. खास बात ये है कि भूपेश बघेल बार-बार अपने साथ चलने वाले लोगों को खाने के लिए पूछते रहते हैं. हालांकि पटना में उनके सामने घर से खाना बनवाने का विकल्प नहीं था. उन्होंने खाना होटल से बनवा लिया था. जाले से उड़ान भरते ही बघेल ने अपने सिक्योरिटी गार्ड, हेलीकाप्टर के पायलट से भी खाने के लिए पूछा. इसके बाद उन्होंने अपने भाषण को लेकर अपनी टीम से चर्चा की. चूंकि लौकहा से जाले की दूरी कम थी, लिहाज़ा कैमरे पर बातचीत की गुंजाइश नहीं थी.

इसके बाद भूपेश बघेल जाले पहुंचे. जाले में मैदान पहले से बड़ा और ज्यादा भरा हुआ था. लेकिन नज़ारा वही था. सेल्फी लेने की होड़, नारेबाज़ी का शोर, मैदान के बाहर छतों पर बैठकर भाषण सुनते लोग. भीड़ से भूपेश बघेल और ज़्यादा जोश में दिखे. हांलाकि यहां उन्होंने अपना भाषण थोड़ा छोटा किया. क्योंकि उन्हें सांझ ढलने से पहले पटना पहुंचना था.

भाषण समाप्त होते ही भूपेश बघेल फौरन हैलीपैड की ओर रवाना हुए. इसके बाद पटना के सफर में हमें फिर से अधूरी बातचीत को पूरा करने का मौका मिला. भूपेश बघेल से हमने बिहार चुनाव और छत्तीसगढ़ के मसलों पर बातचीत की. जिसमें तेजस्वी के दावे का आधार, आरक्षण, स्थानीय युवाओं को रोज़गार और उनके बेरोज़गारी भत्ते, प्रदेश में पत्रकारों पर हमले और प्रदर्शन से जुड़े सवाल शामिल थे.

रूपेश गुप्ता – जिन दो जगहों पर आपने आज प्रचार किया हैं, उन जगहों पर एनडीए का दबदबा रहा है, क्या लग रहा है आपको इस बार ? 

भूपेश बघेल – अभी जिस तरह से दरभंगा और मधुबनी के लोग उमड़ कर आए हैं. स्वाहस्फूर्त आशाएं है. उनका जोशीला उत्साह अहुतपूर्व रहा है. मैं समझता हूँ परिवर्तन की लहर चल रही है. यहाँ के लोगों ने ठान लिया है कि एडीए की सरकार को उखाड़ फेकेंगे.

रूपेश – जब आप रैली कर रहे थे उसी वक़्त प्राधनमंत्री रैली कर रहे थे. वे कह रहे थे कि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है. उन्होंने कहा कि हमारी कथनी और करनी में अंतर नहीं है, इस पर क्या कहेंगे ? 

भूपेश प्राधनमंत्री जी अगर ऐसा कहते हैं, तो बताएं कि काला धन कहाँ है. क्योंकि नोटबन्दी के बाद आपने काला धन लाने की बात कही थी. कहाँ है काला धन. एक देश एक टैक्स कहा था हुआ क्या ? आपने कहा था कि 21 दिन लॉकडाउन करने से कोरोना भाग जाएगा. ताली बजाइये- थाली बजाइये, भागा क्या ? तो कथनी और करानी में आपके अंतर है. हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और, तो करनी और कथनी में आपके अंतर है. हमारे नहीं.

रूपेश – छत्तीसगढ़ की शराबबंदी की बात बहुत हुई. अब बिहार के शराबबंदी की बात. बिहार में शराबबंदी के खिलाफ़ गुस्सा दिखता है, क्योंकि शराब की तस्करी और होम डिलीवरी जगह-जगह है ? 

भूपेश – मैं यही कहता हूँ कि शराबबंदी इस प्रकार से हो कि लोग उसे स्वीकार करे और किसी को परेशानी न हो. यहां तो लाखों लोग जेल में है और इनकी घर पहुँच सेवा जारी है. तो एक तरह से शराबबंदी हुई नहीं है. ये केवल दिखाने का है. तो ऐसा नहीं होना चाहिए. शराबबंदी सचमुच हो जिससे परिवार बिखरने से बचा जा सके। सबका विश्वास जीतकर शराबबंदी होनी चाहिए।

रूपेश- प्रधानमंत्री मोदी ने आरक्षण को लेकर कहा है कि हमने लोकसभा और राज्यसभा में आरक्षण 10 साल के लिए बढ़ाया है। जबकि हम पर आरक्षण खत्म होने के आरोप लगते हैं। जहां तक मुझे याद आ रहा कि आपने भी ये सवाल उठाये थे ? 

भूपेश – ये लगातार आरक्षण के खिलाफ बोलते रहे हैं. जब संविधानिक पद पर आए तो उनकी बाध्यता हो गई. आरक्षण खत्म नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन दूसरे दूसरे तरीके से कर रहे हैं. आप 15 प्रतिशत आईएएस अधिकारियों को कॉर्पोरेट हाउस से ले रहे हैं. वहां क्या आरक्षण का पालन हो रहा है ? आप सारी चीजें बेच रहे हैं. एयरपोर्ट बेच रहे हैं. रेलवे बेच रहे हैं. रेलवे स्टेशन बेच रहे हैं. कारखाने बेच रहे हैं. प्राइवेट में जब सब चले जा रहा है, तो वहां तो आरक्षण है ही नहीं, तो आप आरक्षण दूसरे तरीके से खत्म कर रहे हैं. जो लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, वो आप दूसरी तरह से खत्म कर रहे हैं.

रूपेश – एक और सवाल. तेजस्वी यादव कह रहे हैं, यहां नौकरियां स्थानीय लोगों को मिलेगी. यानि स्थानीय लोगों को आरक्षण की बात कही जा रही है. ये बात छत्तीसगढ़ में भी उठती है. आपको लगता है इस पर विचार होना चाहिए ? 

भूपेश बघेल – बिल्कुल होना चाहिए. हमने जो औद्योगिक नीति बनाई है. स्थानीय कामगारों को मौका मिलना चाहिए, इसका हमने प्रावधान किया हुआ है कि 90 फीसदी स्थानीय लोगों को होना चाहिए.

रुपेश – 10 लाख नौकरियां देने की बात तेजस्वी कर रहे हैं. इसे लेकर बहुत से सवाल उठ रहे हैं इस पर क्या सोच रहे हैं ?

भूपेश बघेल – भारतीय जनता पार्टी 19 लाख की बात कर रही है, वो कैसे देंगे ये बता दें. जब छत्तीसगढ़ में चुनाव हो रहे थे, तब इन्होंने कहा था कि ऋण माफी नहीं हो सकती. 2500 रुपये में धान खऱीदी नहीं हो सकती. हमने करके दिखाया ना. तेजस्वी अगर कुछ बोल रहे हैं, तो कुछ सोचकर बोल रहे होंगे.

रुपेश गुप्ता-  पोस्टर में एक तरफ सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, दूसरी तरफ लालू यादव नहीं है. इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं ?

भूपेश बघेल – देखिए नया ज़माना है. नए ज़माने में नए लोग सामने आ गए. तेजस्वी सामने हैं. उनके पीछे लाखों-करोड़ों युवा साथ हैं.

रुपेश- लेकिन लालू यादव का योगदान है न, उनकी पार्टी के वो प्रमुख व्यक्ति हैं ?

भूपेश बघेल- लालू यादव की भूमिका थी. वो अपने दल के अध्यक्ष हैं. जब वे मुख्यमंत्री थे तो सामाजिक न्याय के पुरोधा के रुप में सामने आए थे. तो उनके योगदान को तो भुलाया नहीं जा सकता.

रुपेश – बिहार चुनाव को लेकर क्या आकलन है. तीसरे चरण का मतदान दो दिन बाद है. आपका क्या अनुमान है ?

भूपेश बघेल-  महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा.

रूपेश- बेरोजगारी की बात यहां बहुत है. दस लाख नौकरियां. एक आपका भी चुनावी वादा है बेरोज़गार युवाओं को भत्ता देंगे. खेती के लिए आपने काम कर लिया है. वहां के बेरोज़गार युवा भी उम्मीद कर रहे हैं ?

भूपेश बघेल- निश्चित रुप से बेरोज़गारों के लिए योजना बनाकर उन्हें रोज़गार के अवसर देंगे. पूरे देश में जो सर्वे हुआ है, उसमें केवल 2 प्रतिशत बेरोज़गार हैं. जबकि दूसरे राज्य हमसे बहुत पीछे हैं. हम सेकेंड टॉप में हैं. तो हम लोग कोशिश करेंगे और हमारी योजना हम बना रहे है. जिससे नौजवानों को ज़्यादा से ज़्यादा अवसर मिले.

रूपेश –  प्रदेश में जगह-जगह पत्रकारों के प्रदर्शन चल रहे हैं. उन पर अटैक भी हुए हैं. इस पर क्या कहेंगे ?

भूपेश बघेल- मान लो किसी के साथ अन्याय होता है, तो अपनी बात कहने का सबको अधिकार है. ये आज़ादी उनको है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दूसरे की आज़ादी का हनन न हो. इस बात का ध्यान रखना चाहिए.

रुपेश –  मुंबई में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी हो गई, उसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं ?

भूपेश बघेल – मैं उनको पत्रकार नहीं मानता. वो जिस भाषा का प्रयोग करते हैं और जिस एजेंडे को लेकर चल रहे हैं. पत्रकारिता वो नहीं हो सकती.

रुपेश – सर धन्यवाद

भूपेश – धन्यवाद

इसके बाद मुख्यमंत्री पटना पहुंचे. रास्ते में क्रू मेंबर ने फोटो खींचाने की अपील की थी. भूपेश बघेल ने हैलीपैड पर उनके साथ फोटो खिंचाई. इसके बाद वे स्पेशल प्लेन से रायपुर के लिए रवाना हो गए.