रायपुर। प्रर्वतन निदेशालय की टीम ने बर्खास्त आईएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हिरासत में लेते हुए मंगलवार चतुर्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा की कोर्ट में पेश किया. 

जानकारी के अनुसार, ईडी की टीम ने सोमवार की शाम को बाबूलाल अग्रवाल को उनके देवेन्द्र नगर स्थित घर से गिरफ्तार पूछताछ कर रही थी. मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया. न्यायालय में पेश करने के दौरान मीडिया से चर्चा में बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि मैने कोई मनी लांड्रिंग नहीं की है. झूठा केस बना रखा है. सही समय आने पर जवाब दूंगा.

उन्होंने कहा कि 11 साल पुराना केस है, इसमें पहले ही न्यायालय का आदेश मेरे पक्ष में आ गया है. जानबूझकर ये सब किया गया है. ये अभी बताने का समय नहीं है. पूरी तरह से साजिश है. पूरे छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को डराने की यह चाल है. सीबीआई का आना बंद हो गया है, अब ईडी डराना चाहती है.

बता दें कि बाबूलाल अग्रवाल पर आरोप है कि कालेधन को सफेद करने के लिए अपने सीए के माध्यम से खरोरा और उसके आसपास करीब 446 ग्रामीणों के नाम से बेनामी खाते खुलवाए थे. इसमें 2006 से 2009 के बीच 39 करोड़ रुपए जमा किए गए. इसका खुलासा होने के बाद आयकर विभाग और सीबीआई द्वारा मामले को जांच में लिया गया था. इस दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए रकम की अफरा-तफरी की जानकारी मिलने के बाद ईडी ने मामले को जांच में लिया था.

बहाल होने के बाद भी नहीं मिली नियुक्ति

सीबीआई ने रिश्वत देने के आरोप में पूर्व में बीएल अग्रवाल को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. इसके मद्देनजर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था. लेकिन जेल से छूटने के बाद बीएल अग्रवाल ने राज्य सरकार की कार्रवाई के खिलाफ कैट में याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई करते हुए कैट ने उन्हें बहाल कर दिया था. लेकिन फिलहाल मौजूदा राज्य सरकार ने उन्हें ज्वाइन नहीं कराया.